नई दिल्ली, 23 सितंबर 2025: भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) जोन ने जूनियर स्केल अधिकारियों के कार्यालयों से एयर कंडीशनर (एसी) हटाने का आदेश जारी करने के महज कुछ घंटों बाद इसे वापस ले लिया। यह फैसला उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अधिकारियों और कर्मचारियों के कड़े विरोध के बाद लिया गया। आदेश की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया, और कई यूनियनों ने हड़ताल की धमकी दी। एनसीआर के महाप्रबंधक ने स्पष्ट किया कि यह फैसला ऊर्जा संरक्षण के लिए था, लेकिन विरोध को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया है।
घटना की शुरुआत 22 सितंबर 2025 को हुई, जब एनसीआर ने एक सर्कुलर जारी कर जूनियर स्केल अधिकारियों के कमरों से एसी हटाने के निर्देश दिए। सर्कुलर में कहा गया कि केवल सीनियर स्केल और उससे ऊपर के अधिकारियों को ही एसी की सुविधा मिलेगी, जबकि जूनियर अधिकारियों को पंखे से काम चलाना होगा। यह आदेश ऊर्जा बचत और लागत कटौती के नाम पर जारी किया गया था। लेकिन जैसे ही यह खबर प्रयागराज, आगरा, झांसी और कानपुर जैसे यूपी जिलों में फैली, वहां तैनात जूनियर अधिकारियों में रोष फैल गया। कई अधिकारियों ने इसे भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि गर्मी के मौसम में बिना एसी के काम करना असंभव है।
विरोध इतना तीव्र था कि प्रयागराज जंक्शन पर कर्मचारियों ने काम रोकने की धमकी दी, जबकि आगरा डिवीजन में यूनियनों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। सोशल मीडिया पर #SaveRailwayAC हैशटैग ट्रेंड करने लगा, जहां अधिकारियों ने तर्क दिया कि एसी हटाने से कार्यक्षमता प्रभावित होगी। एक जूनियर अधिकारी ने कहा, "हम दिनभर ट्रेन ऑपरेशन और यात्री शिकायतों से निपटते हैं, बिना एसी के कैसे फोकस करेंगे?" विरोध की लहर देखते हुए एनसीआर प्रशासन ने शाम को ही आदेश वापस ले लिया और कहा कि मामले पर पुनर्विचार किया जाएगा।
रेलवे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, यह फैसला केंद्र सरकार की ऊर्जा संरक्षण नीति का हिस्सा था, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसे लागू करने में जल्दबाजी हुई। विपक्षी दलों ने इस पर सरकार को घेरा और कहा कि यह कर्मचारी विरोधी नीति है। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, "रेलवे कर्मचारियों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करना अन्याय है।" फिलहाल, एनसीआर ने सभी डिवीजनों को सूचित कर दिया है कि एसी हटाने का आदेश स्थगित है, और आगे की समीक्षा होगी। यह घटना रेलवे प्रशासन में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठाती है, जहां बिना परामर्श के फैसले से कर्मचारियों में असंतोष फैलता है।