रूस और बेलारूस ने नाटो की बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास "जापाड-2025" शुरू किया है। ये अभ्यास बेलारूस और रूस के कई हिस्सों में आयोजित हो रहे हैं, जिसमें लगभग 7,000 जवान शामिल हैं, जिनमें 6,000 बेलारूसियन सैनिक हैं। अभ्यास का उद्देश्य संभावित आक्रमण के खिलाफ दोनों देशों की सुरक्षा और सामरिक समन्वय को बढ़ाना है।
अभ्यास में रूसी उन्नत हथियारों का प्रदर्शन हुआ, जिसमें भूमिगत पनडुब्बी से कैलिबर मिसाइल का परीक्षण भी शामिल था।
रूस और बेलारूस ने बताया कि ये रक्षा-प्रणाली आधारित अभ्यास हैं और इनके पीछे कोई आक्रामक इरादा नहीं है।
नाटो के पूर्वी सीमावर्ती देशों ने इसे खतरा माना है, खासकर पोलैंड और रोमानिया ने हाल ही में रूसी ड्रोन् के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ के आरोप लगाए हैं।
पोलैंड ने अपनी बेलारूस सीमा को बंद कर दिया है और नाटो ने हवाई सुरक्षा के लिए लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है।
यह अभ्यास बेलारूस के पूर्वी हिस्सों में होता है, जहाँ रूसी नौसेना और मिसाइल हमले के प्रशिक्षण और बाल्टिक सागर की कार्रवाई भी शामिल है।
जियो-पॉलिटिकल प्रभाव:
यह अभ्यास पूर्वी यूरोप में सुरक्षा स्थिति को और तनावपूर्ण बना रहा है, जहां रूस और नाटो के बीच सैन्य प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। पोलैंड, लातविया और लिथुआनिया ने भी अपनी सीमाओं और हवाई क्षेत्र को प्रतिबंधित कर रखा है। रूस और बेलारूस ने इन अभ्यासों को अपने देशों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया है, जबकि नाटो और पश्चिमी देश इसे आक्रामक गति मानते हैं।
अभ्यास में सामरिक विमान, ड्रोन, टैंक, हेलिकॉप्टर और मिसाइल सिस्टम शामिल हैं, जो युद्ध की तैयारियों को दर्शाते हैं। पश्चिमी देशों की चिंता है कि यह अभ्यास यूक्रेन युद्ध और नाटो के जवाबी कदमों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।