देहरादून, 27 सितंबर 2025 (एजेंसी): उत्तराखंड कैडर की 2015 बैच की IPS अधिकारी रचिता जुयाल का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का आवेदन आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। मंत्रालय के पुलिस-I डिवीजन के उपसचिव संजीव कुमार द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, रचिता को IPS सेवा से मुक्त कर दिया गया है। यह निर्णय मई 2025 में दिए गए उनके आवेदन के चार महीने बाद आया है, जब उन्होंने व्यक्तिगत और पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था।
रचिता जुयाल, जो वर्तमान में उत्तराखंड सतर्कता विभाग में पुलिस अधीक्षक (SP) के पद पर तैनात थीं, ने अपनी सेवा के 10 वर्ष पूरे होने के बाद यह कदम उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय पूरी तरह से व्यक्तिगत है और इसमें कोई राजनीतिक या बाहरी दबाव नहीं है। एएनआई को दिए बयान में रचिता ने कहा, "मैंने हाल ही में 10 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ योजनाएं होती हैं, और मेरी भी कुछ आकांक्षाएं हैं जिन्हें मैं पूरा करना चाहती हूं। यह फैसला परिवार में लंबे समय से चर्चा में था, और हमने अपनी सुविधा के अनुसार लिया है। उत्तराखंड से मेरा प्रेम कम नहीं हुआ है, और मैं राज्य के कल्याण में भविष्य में भी योगदान देती रहूंगी।"
इस्तीफे के कारण: रचिता ने बार-बार जोर देकर कहा है कि इस्तीफा व्यक्तिगत कारणों से है, जिसमें पारिवारिक परिस्थितियां प्रमुख हैं। स्रोतों के अनुसार, यह निर्णय परिवार के साथ चर्चा के बाद लिया गया, जिसमें वर्क-लाइफ बैलेंस और निजी आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई अचानक फैसला नहीं था, बल्कि लंबे समय से विचाराधीन था। कुछ रिपोर्टों में अटकलों का जिक्र है, लेकिन रचिता ने पीटीआई को बताया, "मेरा इस्तीफा पूरी तरह से व्यक्तिगत कारणों पर आधारित है और इसमें कोई राजनीतिक या बाहरी दबाव नहीं है। सेवा ने मुझे सार्थक अवसर दिए, और मैं उत्तराखंड से जुड़ी रहूंगी।" उनके जीवन में दो वर्ष पूर्व हुई शादी को भी कुछ स्रोतों ने अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ा है, जब उन्होंने कोविड काल के दौरान सामाजिक कार्यों में मिले फिल्म निर्देशक यशस्वी जुयाल से विवाह किया। यशस्वी प्रसिद्ध अभिनेता और डांसर राघव जुयाल के भाई हैं। हालांकि, रचिता ने इन कारणों पर टिप्पणी नहीं की।
रचिता जुयाल उत्तराखंड की धरमपुर निवासी हैं और देहरादून में ही अपनी स्कूली व उच्च शिक्षा पूरी की। बीबीए और एमबीए करने के बाद, उन्होंने 29 वर्ष की आयु में पहली ही कोशिश में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2015 पास की। सेवा के दौरान उन्होंने राज्यपाल के पास एडीसी (ADC to the Governor) के रूप में राजभवन में कार्य किया, इंटेलिजेंस ब्यूरो में डेपुटेशन पर रहीं और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया। सतर्कता विभाग में SP के रूप में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए जानी जाती रहीं।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने 25 अगस्त 2025 को रचिता के आवेदन को केंद्र को भेजा था, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी। यह घटना भारतीय सिविल सेवाओं में बढ़ते इस्तीफों की प्रवृत्ति को दर्शाती है, जहां युवा अधिकारी वर्क-लाइफ असंतुलन और करियर थकान के कारण सेवा छोड़ रहे हैं। रचिता की विदाई ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में एक खालीपन पैदा कर दिया है, लेकिन उनकी सामाजिक कार्यों में रुचि उन्हें भविष्य में भी सक्रिय रखेगी।
उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन ने रचिता के योगदान की सराहना की है। डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा, "रचिता एक समर्पित अधिकारी रहीं, और उनके निर्णय का सम्मान किया जाता है।" यह मामला न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की झलक देता है, बल्कि सिविल सेवाओं में बदलते परिदृश्य को भी उजागर करता है।