गुवाहाटी, असम, 21 सितंबर 2025: भारतीय संगीत जगत ने अपने एक चमकते सितारे, जुबीन गर्ग को खो दिया। 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान एक दुखद हादसे में 52 वर्षीय इस महान गायक का निधन हो गया। असम के सांस्कृतिक प्रतीक और 'या अली' जैसे सुपरहिट गानों के लिए मशहूर जुबीन गर्ग के निधन ने उनके प्रशंसकों और पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। असम सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।
एक छोटे से गांव से बॉलीवुड तक का सफर
जुबीन गर्ग, जिनका असली नाम जुबीन बोरठाकुर था, का जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पालन-पोषण असम में हुआ, जहां उनकी मां, इली बोरठाकुर, जो एक गायिका और असमिया अभिनेत्री थीं, ने उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दी। उनके पिता, मोहन बोरठाकुर, एक मजिस्ट्रेट और कवि थे। जुबीन ने तीन साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था और बाद में तबला और शास्त्रीय संगीत की औपचारिक ट्रेनिंग ली।
1992 में, 20 साल की उम्र में, जुबीन ने अपना पहला असमिया एल्बम अनामिका रिलीज किया, जिसने उन्हें स्थानीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। इसके बाद, उन्होंने मुंबई में अपनी किस्मत आजमाई और 2006 में फिल्म गैंगस्टर के गाने 'या अली' से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की। इस गाने ने उन्हें फिल्मफेयर, IIFA, और स्टारडस्ट जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलाए। जुबीन ने हिंदी, असमिया, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, और 40 से अधिक भाषाओं में 38,000 से ज्यादा गाने गाए, जिसने उन्हें भारत के सबसे बहुमुखी और उत्पादक गायकों में से एक बनाया।
एक कलाकार से बढ़कर: सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
जुबीन गर्ग केवल एक गायक नहीं थे; वे एक संगीतकार, गीतकार, अभिनेता, फिल्म निर्माता, और निर्देशक भी थे। उन्होंने असमिया सिनेमा में कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जिनमें मिशन चाइना (2017) विशेष रूप से लोकप्रिय रही। उनके गीतों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। 2019 में, उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के खिलाफ अकेले विरोध प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान मिली।
हालांकि, जुबीन विवादों से भी नहीं बचे। 2023 में, उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण पर टिप्पणी की, जिसके बाद उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, गोविंदा पर बलि के आरोप से संबंधित उनके बयान ने भी सुर्खियां बटोरीं।
जुबीन की शादी फैशन डिजाइनर गरिमा साकिया से हुई थी। उनका परिवार उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा। हालांकि, उनके जीवन में एक गहरी त्रासदी तब आई, जब 2002 में उनकी छोटी बहन, जो एक उभरती हुई गायिका और अभिनेत्री थीं, एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इस घटना ने जुबीन को गहरा आघात पहुंचाया, लेकिन उन्होंने अपने दुख को अपनी कला में ढाला और संगीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
19 सितंबर 2025 को, जुबीन सिंगापुर में नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के लिए गए थे। वहां एक यॉट ट्रिप के दौरान स्कूबा डाइविंग करते समय एक दुर्घटना का शिकार हो गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने लाइफ जैकेट पहना था, लेकिन अचानक आई तकनीकी खराबी ने उनकी जान ले ली। उनकी मृत्यु की खबर ने पूरे देश में शोक की लहर दौड़ा दी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 20 सितंबर 2025 को X पर एक पोस्ट में घोषणा की कि वे जुबीन के पार्थिव शरीर को सिंगापुर से गुवाहाटी लाएंगे।
जुबीन के निधन की खबर फैलते ही, गुवाहाटी में उनके घर के बाहर प्रशंसकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। असम सरकार ने उनके योगदान को सम्मान देने के लिए तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया। 2024 में मेघालय यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था, और उनकी मृत्यु के बाद, कई हस्तियों और प्रशंसकों ने उनके सांस्कृतिक प्रभाव को याद किया।
जुबीन गर्ग की आवाज़ ने न केवल असम, बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी लाखों लोगों के दिलों को छुआ। दिल से, फिज़ा, नमस्ते लंदन, और कृष 3 जैसी फिल्मों में उनके गानों ने उन्हें अमर बना दिया। उनकी सांस्कृतिक सक्रियता और सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय ने उन्हें एक सच्चा जननायक बनाया। उनकी मृत्यु से संगीत जगत में एक ऐसी कमी आई है, जिसे शायद कभी भरा नहीं जा सकेगा।
जुबीन गर्ग की संपत्ति, जो अनुमानित तौर पर करोड़ों में थी, उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक थी। लेकिन उनके प्रशंसकों के लिए, उनकी असली विरासत उनकी आवाज़ और असम की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर ले जाने का उनका जुनून है।