घटना की शुरुआत 18 सितंबर 2025 को हुई, जब मिहींपुरवा क्षेत्र के ग्रामवासियों ने पुलिस को सूचित किया कि कुछ लोग प्रतिबंधित पशुओं की हत्या कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने एक FIR दर्ज की थी, और अशरफ सहित कई आरोपी फरार थे। रविवार तड़के पुलिस को खबर मिली कि अशरफ और उसके साथी जंगल में छिपे हुए हैं। मिहींपुरवा थाने की पुलिस ने तुरंत एक विशेष अभियान शुरू किया। जब पुलिस ने संदिग्धों को घेरने की कोशिश की, तो अशरफ ने पुलिस पर गोली चलाई। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें अशरफ घायल हो गया और उसे व अब्दुल कादिर को हिरासत में ले लिया गया।
पुलिस के अनुसार, अशरफ के खिलाफ बहराइच और आसपास के जिलों में उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत 12 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। पूछताछ में अशरफ ने खुलासा किया कि वह और उसके साथी गोकशी के बाद मांस को बेचने की योजना बना रहे थे। जब्त मोटरसाइकिल का उपयोग वे भागने के लिए कर रहे थे। पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य फरार सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है और मामले के पीछे के बड़े सरगनाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
बहराइच के पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने कहा कि गोकशी जैसे अपराधों के खिलाफ उनकी कार्रवाई सख्त रहेगी। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी है। हिंदू संगठनों ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की है, जबकि कुछ समूहों ने गोकशी के खिलाफ और सख्त कानूनों की मांग की है। सोशल मीडिया पर इस मुठभेड़ की खबर तेजी से वायरल हो रही है, जहां कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था की जीत बता रहे हैं, तो कुछ ने पुलिस मुठभेड़ों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं।
यह मुठभेड़ न केवल एक अपराध को रोकने की दिशा में पुलिस की सफलता को दर्शाती है, बल्कि उत्तर प्रदेश में गोकशी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गहरे सामाजिक और धार्मिक तनावों को भी उजागर कर रही है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच जारी है, और सभी दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।