शहर की चारों दिशाओं में फैली मुख्य सड़कें – जैसे एमजी रोड, रायगढ़ मार्ग, बिलासपुर रोड और बलरामपुर रोड – गड्ढों का जाल बन चुकी हैं। बारिश के मौसम में ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं, जबकि गर्मियों में धूल की समस्या बढ़ जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। एक स्थानीय बाइक सवार ने दुर्घटना के बाद कहा, "हादसे की असली वजह खराब सड़कें ही हैं।" एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी कई यूजर्स ने शिकायतें दर्ज की हैं, जैसे एक यूजर ने लिखा कि अंबिकापुर की सड़कें इतनी खराब हैं कि चलने लायक नहीं बचीं, और रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं।
इस समस्या का असर आम जनजीवन पर गहरा पड़ रहा है। स्कूली बच्चे, कामकाजी लोग और यात्री रोजाना घंटों की देरी का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन तक का सफर अब एक घंटे से ज्यादा लगता है, जिससे ट्रेनें छूट रही हैं। छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं में 2024 में 10.28% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें मौतों की संख्या 9.50% बढ़कर 6,752 हो गई। हाई कोर्ट ने ब्लैक स्पॉट्स, कोयला यातायात और खराब सड़क सुरक्षा को प्रमुख कारक बताया है, विशेष रूप से कोरबा और सरगुजा जिलों में। सरगुजा में दुर्घटनाओं में 42.25% की बढ़ोतरी हुई है।
निवासियों की नाराजगी अब विरोध प्रदर्शनों में बदल रही है। अंबिकापुर में डॉक्टरों, इंजीनियरों और व्यापारियों ने 'सड़क सत्याग्रह' शुरू किया है, जिसमें वे चौराहों पर लोगों से बात कर जागरूकता फैला रहे हैं और जनप्रतिनिधियों को संदेश भेज रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी सड़कों की खराब हालत पर जोरदार विरोध किया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 43 को प्रतीकात्मक रूप से ब्लॉक किया और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया कि यदि मरम्मत नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नगर निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की लापरवाही से स्थिति बिगड़ी है।
राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन गया है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने एक नागरिक की शिकायत पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निजी नंबर साझा कर दिया, और खराब सड़कों को उनकी 'उपलब्धि' बताया। यह घटना कवर्धा जिले की खराब सड़कों के संदर्भ में हुई, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता पानी भरे गड्ढों में बैठकर विरोध कर रहे थे। बघेल ने जवाब में शर्मा से इस्तीफा मांगा और कहा कि भाजपा सरकार दो साल बाद भी सड़कों की मरम्मत नहीं कर पाई। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी भाजपा पर निशाना साधा, कहा कि खराब सड़कों के कारण एक पत्रकार की हत्या तक हो चुकी है।
सरकार की ओर से कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। 2025-26 के बजट में ग्रामीण सड़कों के लिए 845 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कवर्धा में सड़क मरम्मत के लिए 4 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और काम शुरू हो गया है। हाई कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को सड़कों की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में खराब सड़क निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जैसे बिजापुर में गंगालूर-नेलेश्नार मार्ग पर घटिया सामग्री के इस्तेमाल के मामले में। महापौर मंजूषा भगत ने कहा कि नगर निगम की कुछ सड़कें ठीक हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग और पीडब्ल्यूडी की सड़कें बुरी हालत में हैं, और मुख्यमंत्री से फंड प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि घोषणाओं के बावजूद जमीनी कार्रवाई नजर नहीं आ रही। विशेषज्ञों का मानना है कि कोयला परिवहन और ब्लैक स्पॉट्स जैसे मुद्दों को संबोधित किए बिना समस्या हल नहीं होगी। यदि जल्द मरम्मत नहीं हुई, तो विरोध प्रदर्शन और तेज हो सकते हैं, जिससे शहर की यातायात व्यवस्था और प्रभावित होगी।