परेश रावल की 'द ताज स्टोरी' पोस्टर पर विवाद: ताजमहल के गुम्बद से निकलती शिव प्रतिमा, अभिनेता ने दिया स्पष्टीकरण

 मुंबई | 1 अक्टूबर, 2025 अभिनेता परेश रावल की आगामी फिल्म 'द ताज स्टोरी' के मोशन पोस्टर ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया है। पोस्टर में ताजमहल के गुम्बद से भगवान शिव की प्रतिमा निकलती नजर आ रही है, जिसके बाद यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताकर विवाद का शिकार हो गया। परेश रावल ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिल्म धार्मिक मुद्दों से जुड़ी नहीं है और दर्शकों को पूरी फिल्म देखने के बाद ही राय बनाने की सलाह दी है।

विवाद तब शुरू हुआ जब फिल्म के मेकर्स ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर मोशन पोस्टर शेयर किया। पोस्टर में परेश रावल ताजमहल के गुम्बद को हाथों से हटाते दिख रहे हैं, और उसके अंदर से भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा प्रकट हो रही है। यह दृश्य कई लोगों को ताजमहल को लेकर पुरानी बहसों की याद दिला गया, जहां कुछ लोग इसे प्राचीन शिव मंदिर मानते हैं। सोशल मीडिया पर #BoycottTajStory और #TajMahalTruth जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, और यूजर्स ने इसे 'धार्मिक उन्माद फैलाने वाला' करार दिया।

विवाद बढ़ते ही परेश रावल ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने लिखा, "फिल्म देखो और फिर अपनी राय बनाओ। 'द ताज स्टोरी' किसी धार्मिक विवाद से जुड़ी नहीं है। यह ताजमहल के निर्माण की ऐतिहासिक कहानी है, जिसमें सच्चाई और रहस्यों का खुलासा होगा। हमारा उद्देश्य इतिहास को सम्मान देना है, न कि किसी की भावनाओं को आहत करना।" अभिनेता ने यह भी कहा कि पोस्टर एक कलात्मक अभिव्यक्ति है, जो फिल्म के थीम को दर्शाता है, लेकिन गलतफहमी पैदा कर रहा है।

फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, "हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि 'द ताज स्टोरी' ताजमहल के अंदर शिव मंदिर होने का दावा नहीं करती। यह फिल्म मुगल सम्राट शाहजहां के प्रेम और वास्तुकला के चमत्कार पर आधारित है। पोस्टर में दिखाया गया दृश्य एक प्रतीकात्मक तत्व है, जो ताजमहल के रहस्यमयी इतिहास को उजागर करता है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और विवाद का कोई इरादा नहीं है।" मेकर्स ने दर्शकों से अपील की कि वे अफवाहों पर भरोसा न करें और फिल्म को थिएटर में देखें।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं दो हिस्सों में बंटी हुई हैं। कुछ यूजर्स ने पोस्टर को 'क्रांतिकारी' बताते हुए समर्थन दिया, जबकि अन्य ने इसे 'ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान' कहा। इतिहासकारों ने भी टिप्पणी की कि ताजमहल को लेकर ऐसी अफवाहें पुरानी हैं, लेकिन सिनेमा का उपयोग संवेदनशील मुद्दों पर सावधानी से करना चाहिए। फिल्म समीक्षक ने कहा, "परेश रावल की फिल्में हमेशा सामाजिक मुद्दों को छूती हैं, लेकिन इस बार विवाद अनावश्यक लग रहा है।"

फिल्म 'द ताज स्टोरी' 2026 में रिलीज होने वाली है, और यह विवाद इसके प्रचार को नई ऊंचाई दे सकता है। फिलहाल, परेश रावल का यह बयान विवाद को शांत करने में कितना सफल होगा, यह समय ही बताएगा।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने