बच्चा चोरी गैंग का भंडाफोड़ : दिल्ली से अगवा कर महोबा में बेचा गया था 18 माह का बच्चा

 नई दिल्ली | 29 सितंबर, 2025 दिल्ली के करोल बाग से 18 माह के मासूम बच्चे को अगवा कर उत्तर प्रदेश के महोबा में 45,000 रुपये में बेचने के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक बच्चा चोरी गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस सनसनीखेज घटना में पांच लोगों, जिसमें एक नाबालिग भी शामिल है, को गिरफ्तार किया गया है, और बच्चे को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। यह मामला मानव तस्करी के गंभीर नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जिसने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।

घटना 24 सितंबर 2025 को हुई, जब राजस्थान के हस्तशिल्प विक्रेता मुकेश का 18 माह का बेटा गंगा राम अस्पताल के पास पूसा रोड के फुटपाथ पर सोते समय लापता हो गया। परिवार मेले से लौटकर रात को वहीं रुका था। शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर संदिग्धों का पीछा किया। जांच में पता चला कि बच्चे को एक सफेद कार में ले जाया गया था, जिसे काली बाड़ी लेन में ट्रेस किया गया।

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में अनंत (22), राजू उर्फ ऋषि (24), साहिल कुमार (21), और एक 17 वर्षीय नाबालिग शामिल हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि बच्चे को महोबा में फूलन श्रीवास (54) को बेचा गया, जो दो बेटियों के पिता हैं और बेटे की चाहत में इस अपराध में शामिल हुए। पुलिस ने महोबा में छापेमारी कर श्रीवास को गिरफ्तार किया और बच्चे को सुरक्षित बचा लिया।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह गैंग गरीब परिवारों को निशाना बनाकर बच्चों को अगवा करता था और उन्हें बेचता था। पुलिस का मानना है कि यह नेटवर्क दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में फैला हो सकता है, और अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच जारी है। बरामद स्कूटर और कार से गैंग की गतिविधियों का और खुलासा होने की उम्मीद है।

मध्य दिल्ली के डीसीपी निधिन वलसन ने बताया कि यह ऑपरेशन टीम की कड़ी मेहनत का नतीजा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मानव तस्करी रोधी इकाई को और सक्रिय करने की बात कही है।

यह घटना समाज में बच्चों की सुरक्षा और मानव तस्करी के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता बढ़ा रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी और जागरूकता अभियान को मजबूत करने की जरूरत है। पीड़ित परिवार ने पुलिस की तत्परता की सराहना की, लेकिन साथ ही दोषियों के लिए सख्त सजा की मांग की है।यह मामला मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जागरूकता की जरूरत को रेखांकित करता है, क्योंकि इस तरह के अपराधों से समाज का नैतिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है।

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