मुंबई | 1 अक्टूबर, 2025 मुंबई के एक सेवानिवृत्त पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के बहाने 70 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया। ठगों ने खुद को एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) और आईपीएस अधिकारी बताकर पीड़ित को पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ा और दावा किया कि उनका बैंक खाता आतंकवादियों को फंडिंग के लिए इस्तेमाल हुआ है। यह घटना साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे को उजागर करती है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का दुरुपयोग कर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है।
73 वर्षीय पीड़ित, जो आदित्य बिरला ग्रुप के पूर्व वित्त कार्यकारी हैं, को 25 सितंबर 2025 को एक महिला का फोन आया। कॉल करने वाली ने खुद को विनीता शर्मा, नई दिल्ली की एटीएस अधिकारी, बताया। ठगों ने पीड़ित को बताया कि अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के मामले में उनका नाम सामने आया है, और वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को 70 लाख रुपये की फंडिंग में शामिल हैं। डराने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट और नकली दस्तावेज दिखाए गए, जिसके बाद पीड़ित को वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया।
कई दिनों तक चली इस धमकी भरी प्रक्रिया में ठगों ने पीड़ित को विश्वास दिलाया कि अगर उन्होंने अपना खाता 'साफ' न किया, तो तत्काल गिरफ्तारी होगी। घबराहट में पीड़ित ने अपनी बचत के 70 लाख रुपये ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने आईपीएस अधिकारियों की वर्दी और आधिकारिक दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखा दिया, जो साइबर ठगी की नई रणनीति का हिस्सा लगता है।
मुंबई पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने शिकायत मिलते ही मामला दर्ज कर लिया है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ठगों ने पाकिस्तानी आईएसआई और पहलगाम हमले जैसे संवेदनशील मुद्दों का फायदा उठाकर पीड़ित को फंसाया। पुलिस अब ट्रांसफर किए गए फंड्स के ट्रेल का पीछा कर रही है, और संदिग्ध खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का साइबर सिंडिकेट हो सकता है, जो हाल के आतंकी घटनाओं का इस्तेमाल कर रहा है। हम आईटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई करेंगे।"
पुलिस ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है कि कोई भी सरकारी अधिकारी फोन पर पैसे मांगने या गिरफ्तारी की धमकी नहीं देता। शक होने पर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
यह घटना ठगी मामलों की कड़ी का हिस्सा है। पहले भी कई लोगों को इसी तरह के बहाने से लाखों रुपये गंवाने पड़े हैं, जैसे हैदराबाद में 26 लाख की ठगी। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी चालें मानसिक दबाव डालकर लोगों को लूटने का नया तरीका हैं, खासकर रिटायर्ड अधिकारियों को निशाना बनाकर।
पीड़ित परिवार ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, लेकिन ठोस सजा की मांग की है। यह मामला साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियानों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देता है, ताकि ऐसे अपराधों पर लगाम लग सके।