नई दिल्ली | 29 सितंबर, 2025 चीन ने भारतीय दवा उत्पादों पर 30% आयात शुल्क को पूरी तरह से शून्य कर दिया है, जो भारतीय फार्मा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण राहत और अवसर लेकर आया है। यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अक्टूबर 2025 से फार्मा आयात पर 100% टैरिफ लगाने के फैसले के तुरंत बाद हुई है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए वैश्विक बाजार में नई संभावनाएं खुल गई हैं।
चीन का यह कदम अमेरिकी बाजार में बढ़ती लागत के बीच आया है, जहां भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत को "दुनिया की फार्मेसी" के रूप में और मजबूत करेगा, क्योंकि अब भारतीय कंपनियां बिना किसी सीमा शुल्क के चीन के विशाल बाजार में दवाएं निर्यात कर सकेंगी। इस कदम से भारतीय दवा निर्यात में अरबों डॉलर की वृद्धि और हजारों नौकरियों के सृजन की उम्मीद है।
भारत को सस्ती जेनेरिक दवाओं और टीकों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता माना जाता है। चीन, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, अपने बढ़ते स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के लिए उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की मांग में वृद्धि कर रहा है। हालांकि, पहले उच्च आयात शुल्क इस बाजार तक पहुंच को सीमित करते थे। अब शून्य शुल्क के साथ, भारतीय फार्मा कंपनियों को समान अवसर और बेहतर पहुंच मिलेगी, जो अमेरिकी बाजार के विकल्प के रूप में उभर सकता है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम केवल व्यापारिक रणनीति नहीं, बल्कि भारत-चीन संबंधों में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत हो सकता है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे चीन की ओर से अमेरिका के खिलाफ एक जवाबी कदम मान रहे हैं, जो वैश्विक व्यापार युद्ध में एक नई मोड़ ला सकता है। हालांकि, इस बात की भी आशंका है कि क्या यह नीति दीर्घकालिक रहेगी या भू-राजनीतिक तनावों के आधार पर बदल सकती है।
भारतीय फार्मा उद्योग के नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया है। सिप्ला और सन फार्मा जैसी कंपनियों ने कहा कि यह फैसला उनकी वैश्विक पहुंच को बढ़ाएगा और उत्पादन क्षमता में निवेश को प्रोत्साहित करेगा। वहीं, सरकार ने भी इस अवसर का लाभ उठाने के लिए निर्यात नीतियों को मजबूत करने की बात कही है।