नई दिल्ली | 29 सितंबर, 2025 दिल्ली पुलिस ने रविवार, 28 सितंबर 2025 की सुबह लगभग 3:30 बजे विवादास्पद स्वयंभू संत स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को आगरा के एक होटल से गिरफ्तार किया। उन पर दिल्ली के वसंत कुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च की 17 महिला छात्राओं के साथ यौन शोषण और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इस गिरफ्तारी ने एक लंबे समय से चली आ रही मैनहंट को खत्म किया, जिसमें पुलिस ने कई राज्यों में उनकी तलाश की थी।
चैतन्यानंद पर 17 छात्राओं द्वारा यौन शोषण की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद 4 अगस्त 2025 को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोपों के बाद वह फरार हो गए और पिछले 50 दिनों से पुलिस को चकमा देते रहे। जांच में पता चला कि उन्होंने मथुरा, वृंदावन और आगरा में होटलों को 13 बार बदला और नकली पहचान पत्रों का इस्तेमाल किया। पुलिस ने उन्हें आखिरकार आगरा के ताजगंज क्षेत्र में एक होटल में पकड़ा, जहां वे छिपे हुए थे।
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनके पास से एक iPad और तीन मोबाइल फोन बरामद किए, जिनमें से एक में संस्थान और हॉस्टल की सीसीटीवी फुटेज थी, जिसके जरिए वे छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखते थे। इसके अलावा, नकली संयुक्त राष्ट्र (UN) और BRICS विजिटिंग कार्ड्स, दो पासपोर्ट, और वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े सबूत भी मिले हैं। पुलिस का दावा है कि चैतन्यानंद ने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की, जिसके लिए उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है।
गिरफ्तारी के बाद चैतन्यानंद को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने पुलिस की पांच दिन की रिमांड की मांग मंजूर कर ली। बचाव पक्ष ने दलील दी कि सभी पीड़ितों के बयान पहले ही दर्ज हो चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए आगे की जांच के लिए रिमांड दी।
इस गिरफ्तारी से पीड़ित छात्राओं और उनके परिवारों में राहत की लहर है, लेकिन कई लोग कह रहे हैं कि यह न्याय का सिर्फ पहला कदम है। सोशल मीडिया पर इस घटना ने व्यापक चर्चा छेड़ दी है, जहां लोग नकली संतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि इतने लंबे समय तक फरार रहने की सुविधा उन्हें कैसे मिली।