कोरोना जैसे वैश्विक महामारी की शुरुवात की बात हो या फिर गलवान घाटी में कायराना ढंग से खूनी हिंसक झड़प करने की शुरुआत हो, रूस के ब्लादिवोस्तोक शहर को अनाधिकार चीन का साबित करने की बात हो या फिर टिकटॉक और यू सी ब्राउज़र जैसे टुच्चे एप्लीकेशन से अन्य देशों के नागरिकों का डाटा चुराने की शुरुआत। हर तरह के वैश्विक अहित की शुरुवात करने में चीन हमेशा आगे रहता है। विगत महीनों से चीन अपने नापाक हरकतों के चलते सीमा विवाद की शुरुआत का कारण बन रहा था और सीमा विवाद के चलते भारत चीन के संबंधों में भी काफी तनाव आ गए थे।
विगत 15 जून को चीन ने कायराना तरीके से एलएसी पर सैन्य संघर्षों की शुरुआत की जिसके परिणाम स्वरुप भारतीय सैनिकों ने भारी संख्या में चीनी सैनिकों का संहार किया था और भारतीय सेना के कर्नल समेत 20 जवान लड़ते हुए शहीद हुए थे। जिसके बाद भारत में तो चीन के खिलाफ रोष था ही साथ ही अमेरिका और अन्य देशों से भी चीन के रिश्तों में खटास आई थी फिर भारत और चीन के बीच हुई सैन्य वार्ता में सीमा विवादों को ख़त्म करने के लिए चीन ने अपनी अपनी सेना को पीछे हटाने के समझौते किये । चीन ने अपने सैनिकों में कमी की तो भारत ने भी सीमा पर ढील दी। इस समझौते के बाद चीन और भारत के बीच सैन्य मनमुटाव लगभग ख़त्म से हो रहे थे लेकिन अपनी आदत से मजबूर चीन ने सैन्य वार्ता के दौरान हुए समझौतों का उल्लंघन किया और फिर से एलएसी पर चीनी सैनिकों की संख्या में भारी इजाफा किया है। सैन्य सूत्रों के अनुसार चीन ने हथियारों से लैस लगभग 40 हजार सैनिकों को तैनात किया है जिनके पास एयर डिफेन्स सिस्टम, लॉन्ग रेंज आर्टिलरी वेपन्स समेत अन्य हथियार भी हैं। चीन द्वारा की जा रही सैन्य गतिविधियां स्पष्ट रूप से संकेत दे रही हैं की चीन अभी भी सीमा विवादों को कम नहीं करना चाहता है।
