आय से अधिक संपत्ति : कुख्यात विकास के अलावा अनेकों माननीयों के पास भी आय से अधिक अकूत संपत्ति, ईडी नहीं कर रही है जाँच


ऐसे ही नहीं चलते हमारे मंत्री जी फॉर्चूनर से बड़ी मेहनत लगती है हराम का कमाने में फिर उसको छिपाने में और तो और फिर हाई कमान के सामने जी हजूरी करने में, हाल ही में एक कुख्यात हत्यारे विकास को एसटीएफ ने मार गिराया__________अच्छा किया _______ काफी प्रशंशनीय काम और स्वागत योग्य लेकिन एक बात खटक जाती है दिमाग में की विकास ही क्यों बहुत से ऐसे अराजक तत्त्व जिनके नाम विकास से ऐसे जुड़े हैं__हमेशा से ,,,,,,,,,ठीक उसी तरह जिस तरह एक पौधे को पेड़ बनाने के लिए पूरा योगदान जड़ का होता है ,, विकास जैसा बबूल का पौधा पेड़ बन चुका  था और  अब उसके कांटे आस पास खड़े पुलिस प्रशासन के कुछ ईमानदार अधिकारीयों को चुभ रहे थे  कुछ ईमानदार पुलिस अधिकारी इस कांटेदार पेड़ को जड़ से उखाड फेंकना चाहते थे और वो यही करने गए भी थे लेकिन उनके हाथ असफलता और शहादत के आलावा कुछ नहीं लगा। फिर वो बबूल का पेड़ पूरे देश भर में कुख्यात हो गया।
पुलिस प्रशासन अब आक्रामक हो चुका था। एक आक्रामक आंधी अब उसके टहनियों को एक एक करके तोड़ने लगी थी और अब विकास उस आंधी से बचने के लिए अंडरग्राउंड हो रहा था लेकिन फिर एक दिन वो उठ खड़ा हुआ और बोला ,,,,,,,,मैं  हूँ विकास कानपूर वाला ......, ये आत्मसमर्पण था या पुलिस प्रशासन और न्याय पालिका को चुनौती ये विकास के आलावा और कोई नहीं जानता था 
फिलहाल मध्यप्रदेश की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और एसटीएफ को सौंप दिया गया।,,,,,, फिर क्या था एसटीएफ के बेहतरीन लड़ाके और योद्धाओं ने कुख्यात अपराधी को वाहन में लादा और चल दिए उत्तर प्रदेश लेकिन एक योद्धा जो की गाडी चला रहा था वो भूल गया की ये अंतरिक्ष नहीं पृथ्वी है यहाँ सड़के होती है और वो भी योगी सरकार वाली मजबूत टिकाऊ और फौलादी सड़के, भूले भटके ड्ड्राइवर साहब विकास को लेकर आगे बढ़ रहे थे तभी वहां गाय भैंस और पता नहीं क्या क्या आ गया और उनकी गाडी पलट गई
 अब तो विकास को पिस्टल छीन ही लेना चाहिए था विकास ने भी ऐसा ही किया कुछ योद्धाओं में से एक का चुनाव किया और पिस्टल छीन कर भागने लगा और वो तेजी से एसटीएफ से दूर ही भाग रहा था तभी एसटीएफ के जवानों को अपनी जान का खतरा महसूस होने लगा पता नहीं क्यों जबकि विकास उनसे दूर भाग रहा था किसी को अत्यधिक खतरा महसूस हुआ और उन योद्धाओं ने वीडियो ऑडियो लिखित मौखिक किसी भी तरह का बयान  लिए बिना विकास को मौत के घाट उतर दिया और उसका मुँह हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया। विकास की मौत की खबर राहत देने वाली थी और सुनने में भी अच्छा लग यहा था। शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों  में ख़ुशी की लहर थी और साथ ही उन  माननीयों और सफ़ेदपोशों में भी जिनके काले नाम और कारनामे विकास अपने बयान  में बताने वाला था ।एसटीएफ द्वारा विकास का मारा जाना एक नाटकीय खेल की तरह लग रहा था। पता नहीं विकास ने पिस्टल छीनी या नहीं भागा या नहीं लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो गई की एसटीएफ नहीं चाहती थी की विकास का भविष्य में अनेकों माननीयों और सफेदपोशो की कुर्सी खतरे में डालने वाले बयान सार्वजनिक हो। फिलहाल एसटीएफ एक पेशेवर लकड़हारे की तरह विकास जैसे बबूल के पेड़ को काट ले गई लेकिन जड़ों को नहीं उखडने दिया वही जड़ें जिन्होंने विकास को समर्थन दिया जिन्होंने 2001 में हुई दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री की हत्या पर भी कुछ नहीं किया। शायद शहीद जवानों के परिजनों को नहीं पता की कुछ सफेदपोश अपराधी और माननीय जैसी जड़ों के सहारे ही विकास जैसा बबूल का पौधा पेड़ में तब्दील हो गया और वो जड़ें अभी भी मौजूद हैं शायद एक नए विकास को बना रही होंगीं। 
हाल ही में ईडी विकास की काली कमाई से जुटाई सारी संपत्ति की सूचना इकठ्ठा कर रही है लेकिन ईडी को ये क्यों नहीं दिखता की एक बार किसी माननीय की संपत्ति भी जाँच ले। ऐसे बहुत से राजनेता हैं जिनके पदनाम के आगे पूर्व लगा है लेकिन फिर भी शानोशौकत और काफिले में कोई कमी नहीं आई है। इनके पास आय से अधिक संपत्ति भी है  लेकिन  ईडी की फूटी आँखों को वो नहीं दीखता। जब इनके खिलाफ भी जनता आवाज उठाएगी जब याचिका दायर होंगे तब शायद ईडी की नींद टूटे। 

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