पटना: नौकरी की मांग पर युवाओं का उग्र प्रदर्शन, पुलिस लाठीचार्ज में तिरंगे से पीटे जाने का आरोप; कई घायल

 पटना, 20 सितंबर 2025 (स्पेशल डेस्क): बिहार की राजधानी पटना में 15 सितंबर को नौकरी की आस में तड़प रहे युवाओं का प्रदर्शन हिंसक हो गया। बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती (बीपीएसएससी और सीएसबीसी) के लिए रिक्तियों की संख्या घोषित करने, परीक्षा तिथि तय करने और उत्तर कुंजी जारी करने की मांग कर रहे सैकड़ों नौजवानों ने मुख्यमंत्री आवास घेराव का ऐलान किया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़े और ट्रैफिक जाम कर दिया, जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ तितर-बितर कर दी। कुछ वीडियो फुटेज में एक पुलिस अधिकारी को तिरंगे को लहराकर युवाओं पर वार करते देखा गया, जिसे प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बताया। पुलिस का कहना है कि यह भीड़ नियंत्रण के लिए जरूरी कार्रवाई थी।

प्रदर्शन डाक बंगला चौराहे के पास सुबह से शुरू हो गया। युवा प्लेकार्ड थामे नारेबाजी कर रहे थे और तिरंगा लहराते हुए 'मुख्यमंत्री आवास घेराव' अभियान के तहत सीएम आवास की ओर बढ़े। उनकी मुख्य मांगें थीं—बिहार पुलिस में कांस्टेबल पदों की कुल रिक्तियां घोषित करना, परीक्षा की तिथि जल्द तय करना, बीपीएसएससी और सीएसबीसी परीक्षाओं की उत्तर कुंजी जारी करना तथा चुनाव से पहले नौकरियों की अधिसूचना जारी करना। एक प्रदर्शनकारी खुशबू पाठक ने कहा, "छात्रों ने अन्याय के खिलाफ कई बार आवाज उठाई, लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर रहा। हमारा प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण है; हम हाथ जोड़कर सरकार से मांग कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि दो साल से कोई नई रिक्तियां घोषित नहीं हुईं, जिससे पटना में पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो गया है।

घटना उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे से ठीक पहले घटी, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और सतर्क थी। जैसे ही युवा बैरिकेड तोड़कर कोतवाली थाने के पास (एक प्रतिबंधित क्षेत्र) पहुंचे, ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो गया। पुलिस ने उन्हें हटाने का अनुरोध किया, लेकिन जब वे नहीं माने, तो लाठीचार्ज शुरू हो गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने अत्यधिक बल प्रयोग किया और तिरंगे का अपमान किया। वीडियो में दिखा कि एक अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों के हाथों से तिरंगा छीन लिया और भागते युवाओं पर उसे लहराकर वार किया। एक युवा ने कहा, "हम तिरंगा लेकर शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने इसे हथियार बना लिया। यह देशभक्ति का अपमान है।"

पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई ट्रैफिक जाम और प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसपैठ रोकने के लिए आवश्यक थी। पटना एसएसपी कर्तिकेय के. शर्मा ने पीटीआई को बताया, "युवा बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए, ट्रैफिक बाधित किया, बैरिकेड तोड़े और कोतवाली थाने के पास पहुंच गए। हमने उन्हें हटाने को कहा, लेकिन जब नहीं माने तो लाठीचार्ज से भीड़ तितर-बितर की।" एसएसपी ने तिरंगे की घटना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि कोई गंभीर चोट नहीं लगी। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का दावा है कि कई युवा घायल हुए, जिनमें सिर और हाथों पर चोटें शामिल हैं। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

यह प्रदर्शन बिहार में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को उजागर करता है। राज्य में लाखों युवा सरकारी नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में देरी और पारदर्शिता की कमी से आक्रोश बढ़ रहा है। जनवरी 2025 से अब तक ऐसे कई प्रदर्शन हो चुके हैं, जिनमें पटना विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी हिस्सा लिया। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को चुनाव से पहले रिक्तियां घोषित कर युवाओं का भरोसा जीतना चाहिए। विपक्षी दलों ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की है, जबकि सत्ताधारी एनडीए ने इसे 'अराजक तत्वों का काम' बताया।

प्रदर्शन के बाद युवा संगठनों ने चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर statewide आंदोलन तेज होगा। सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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