राजस्थान भर्ती परीक्षा: नकल रोकने के नाम पर अभ्यर्थियों की शर्ट उतरवाने का विवाद, क्या है सच्चाई?

 

जयपुर, राजस्थान – 21 सितंबर, 2025

राजस्थान में चल रही चतुर्थ श्रेणी (ग्रेड-4) भर्ती परीक्षा में नकल रोकने के कथित प्रयासों ने अभ्यर्थियों की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 53,749 पदों के लिए 24.71 लाख अभ्यर्थियों ने 19 से 21 सितंबर तक होने वाली इस परीक्षा में भाग लिया, लेकिन परीक्षा केंद्रों पर सख्त ड्रेस कोड के तहत पुरुष अभ्यर्थियों से फुल स्लीव शर्ट उतरवाने, आस्तीन काटने और जींस के मेटल बटन हटवाने जैसे कदमों ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है। एक वायरल पोस्ट में व्यंग्य भरा कहना है, "अभ्यर्थी शर्ट पहनकर नकल कर लेगा, इसे खुलवा ही दो। बनियान में एग्जाम देगा। अब नकल नहीं होगी।" लेकिन क्या यह तरीका वाकई प्रभावी है, या यह सिर्फ अभ्यर्थियों की बेइज्जती का माध्यम बन गया? https://x.com/i/status/1969605556177600682

परीक्षा का पहला दिन शुक्रवार को शुरू हुआ, जहां जयपुर, सीकर, झुंझुनूं और भरतपुर जैसे जिलों के केंद्रों पर अभ्यर्थियों को कड़ी जांच से गुजरना पड़ा। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, सीकर में फुल स्लीव शर्ट पहने अभ्यर्थियों को शर्ट उतारकर ही प्रवेश दिया गया, जबकि गले में बंधे धागों को भी हटवाया गया। झुंझुनूं में पेन कवर, दुपट्टा, जूते उतरवाए गए और जींस पहने अभ्यर्थियों से वचन-पत्र भरवाया गया। महिलाओं को बालियां, अंगूठियां और अन्य मेटल ज्वेलरी हटानी पड़ीं। एक वीडियो में दिखा कि कुछ केंद्रों पर शर्ट की आस्तीनें कैंची से काट दी गईं, जिससे अभ्यर्थी असहज हो गए। भरतपुर में जींस के मेटल बटन काटे गए, ताकि कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छिपा न हो।

यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में ऐसी सख्ती देखने को मिली। 2015 में बाड़मेर जिले में सिविल सेवा परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों को शर्ट उतारकर पैंट में ही एग्जाम देना पड़ा था। 2018 की पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भी शर्ट, जूते और ज्वेलरी उतरवाने के वीडियो वायरल हुए थे। हाल ही में 2022 के REET एग्जाम में कुर्ती की आस्तीनें काटी गईं। राजस्थान स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड (RSSB) ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि पुरुषों को जींस या टी-शर्ट न पहनें, महिलाओं को मेटल जूलरी न पहनें और सिर्फ पतले चप्पल पहनें। इसके अलावा, बायोमेट्रिक चेक, ब्लू पेन का इस्तेमाल और मोबाइल जैमर लगाना अनिवार्य था।

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गरमाया हुआ है। X (पूर्व ट्विटर) पर @sarviind की पोस्ट को हजारों व्यूज मिल चुके हैं, जहां व्यंग्य के साथ कहा गया कि यह "बेहतरीन आइडिया" है, लेकिन असल में यह अभ्यर्थियों की बेइज्जती है। एक यूजर ने लिखा, "नकल रोकने के नाम पर अपमान हो रहा है।" वहीं, कुछ ने तंज कसा कि "शर्ट से नकल कैसे? लेकिन जांच के लिए मेटल डिटेक्टर या RF स्कैनर इस्तेमाल क्यों नहीं?" विशेषज्ञों का मानना है कि शर्ट उतरवाना आसान लेकिन अपमानजनक तरीका है। एजुकेशनल कंसल्टेंट डॉ. राजेश शर्मा ने कहा, "नकल रोकने के बेहतर उपाय हैं जैसे हाथ से फ्रिस्किंग (एयरपोर्ट स्टाइल), कॉलर-कफ-जेब चेक, बटन स्कैन (कैमरा या माइक के लिए) और अंदरूनी जेब जांच। लेकिन ये मेहनत मांगते हैं।" हाल ही में जयपुर में एक B.Tech ग्रेजुएट को स्मार्टवॉच से नकल करते पकड़ा गया, जो दिखाता है कि तकनीकी डिवाइस मुख्य खतरा हैं।

राजस्थान सरकार ने नकल पर सख्ती के लिए 2023 में पेपर लीक बिल पास किया, जिसमें सजा 10 साल तक की हो सकती है। फिर भी, लाखों अभ्यर्थियों वाली परीक्षाओं में सिस्टम की कमियां उजागर हो रही हैं। RSSB चेयरमैन ने चेतावनी दी कि मेटल जिपर या चेन वाले कपड़े प्रतिबंधित हैं। लेकिन अभ्यर्थी संगठनों ने विरोध जताया है कि यह "अमानवीय" है। एक गुमनाम अभ्यर्थी ने बताया, "सबके सामने शर्ट उतारना शर्मनाक था। क्या यह नकल रोकता है या सिर्फ तनाव बढ़ाता है?"

21 सितंबर को परीक्षा का आखिरी दिन है, और विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। यह घटना न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश में भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठा रही है। क्या समय आ गया है कि तकनीक और मानवीय तरीकों का संतुलन बने, ताकि अभ्यर्थियों का अपमान न हो? सरकार को अब ठोस कदम उठाने होंगे, वरना सोशल मीडिया पर ऐसी "नौटंकी" की कहानियां ही सुर्खियां बटोरेंगी।





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