ट्रंप का यह फैसला 6 अगस्त 2025 को एक कार्यकारी आदेश के जरिए लिया गया, जो 21 दिनों के भीतर प्रभावी होगा। अमेरिका ने भारत के रूस से तेल और गैस खरीदने को आधार बनाते हुए यह कदम उठाया है, जिसे ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" और उसके टैरिफ बैरियर्स को "घृणित" बताया है। ट्रंप ने भारत पर यूक्रेन के प्रति उदासीनता का भी आरोप लगाया। इस फैसले से पहले 31 जुलाई को थरूर ने कहा था कि 25 प्रतिशत टैरिफ "बहुत गंभीर मामला" है और रूस से तेल खरीदने पर जुर्माने के साथ यह 35-45 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, यहां तक कि 100 प्रतिशत जुर्माना भी लग सकता है, जो भारत-अमेरिका व्यापार को "नष्ट" कर देगा। थरूर ने जोर देकर कहा कि अमेरिका भारत के निर्यात के लिए बड़ा बाजार है, लेकिन भारत के पास विकल्प हैं—वह यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ा सकता है, जहां पहले से ही सौदे हो चुके हैं।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने 4 अप्रैल 2025 को संसद में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें थरूर ने कहा कि सरकार को अमेरिकी टैरिफ पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, खासकर जब अमेरिका भारतीय कृषि सब्सिडी जैसे एमएसपी पर आपत्ति जता रहा है। थरूर ने कहा कि अगर अमेरिकी उत्पाद सस्ते होकर बाजार में आएंगे, तो भारतीय किसानों को नुकसान होगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टैरिफ को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए "विनाशकारी" बताया, जबकि गौरव गोगोई ने बीजेपी सरकार पर "ध्रुवीकरण की राजनीति" का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव लाकर अमेरिका के साथ बिगड़ते राजनयिक संबंधों पर चर्चा की मांग की, जिसमें भारतीय छात्रों के वीजा रद्द होने का जिक्र भी किया गया। शिवसेना (यूबीटी) और डीएमके जैसे दलों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं चल रही हैं। ट्रंप ने ब्रिक्स सदस्यों पर 10 प्रतिशत टैरिफ की धमकी दी थी, लेकिन भारत पर विशेष रूप से निशाना साधा। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के निर्यात पर असर पड़ेगा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात-निर्भर नहीं है और घरेलू बाजार मजबूत है। थरूर ने कहा कि अगर मांगें अनुचित रहीं, तो भारत को वार्ता से पीछे हटना पड़ सकता है। सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, अमेरिका के साथ चर्चा जारी है ताकि टैरिफ कम किया जा सके।
यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई दरार पैदा कर सकती है, जहां एक ओर ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति है, वहीं भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की आलोचना हो रही है, और जनता में रोष बढ़ रहा है।