विदेशी सैटेलाइट की संदिग्ध गतिविधि से सतर्क भारत, 50 'गार्डियन' उपग्रहों का जाल बिछाने को तैयार

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2025: भारत सरकार ने अंतरिक्ष में राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। मध्य-2024 में एक पड़ोसी देश के उपग्रह द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक महत्वपूर्ण उपग्रह के बेहद करीब आने की घटना के बाद, भारत अब 50 'बॉडीगार्ड सैटेलाइट' तैनात करने की योजना बना रहा है। ये उपग्रह भारतीय सैटेलाइट्स को संभावित हमलों और संदिग्ध गतिविधियों से बचाने का काम करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे जमीन पर एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल हमलों से रक्षा करता है।

घटना की जानकारी के अनुसार, 2024 के मध्य में एक विदेशी उपग्रह ने इसरो के एक अर्थ ऑब्जर्वेशन और मैपिंग सैटेलाइट के साथ महज एक किलोमीटर की दूरी पर 'नीयर मिस' किया। यह सैटेलाइट 500-600 किलोमीटर की ऊंचाई पर संचालित हो रहा था और इसमें रक्षा संबंधी गतिविधियां जैसे ग्राउंड मॉनिटरिंग शामिल थीं। हालांकि टकराव टल गया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोई दुर्घटना नहीं बल्कि शक्ति प्रदर्शन था, जो भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। इसरो और अंतरिक्ष विभाग ने इस घटना पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंता को जन्म दे चुकी है।

इस घटना के बाद भारत सरकार ने तत्काल कार्रवाई की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'बॉडीगार्ड सैटेलाइट' कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसके तहत लगभग 27,000 करोड़ रुपये की लागत से 50 निगरानी उपग्रहों का बेड़ा तैयार किया जाएगा। इनका मुख्य उद्देश्य दुश्मन देशों के उपग्रहों से आने वाले खतरों का पता लगाना और भारतीय संपत्तियों को सुरक्षित रखना होगा। पहला ऐसा सैटेलाइट अगले साल (2026) तक लॉन्च किया जा सकता है, जबकि पूरा बेड़ा 2029 तक तैनात हो जाएगा। इन सैटेलाइट्स में एलआईडीएआर (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक का उपयोग होगा, जो खतरे की शुरुआती पहचान कर पृथ्वी पर मौजूद ऑपरेटरों को चेतावनी देगी।

सरकार स्टार्टअप्स के साथ सहयोग कर रही है ताकि नई तकनीकों का विकास हो सके। पूर्व इसरो अधिकारी सुधीर कुमार के अनुसार, कुछ स्टार्टअप्स पहले से ही ग्राउंड-बेस्ड रडार और टेलीस्कोप नेटवर्क पर काम कर रहे हैं, जो 24/7 अंतरिक्ष निगरानी सुनिश्चित करेगा। हालांकि, भारत को अभी ऐसी पूर्ण क्षमता विकसित करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि सैटेलाइट्स अब सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हो चुके हैं, इसलिए यह कदम भारत की रणनीतिक शक्ति को बढ़ाएगा।

यह योजना खासतौर पर चीन और पाकिस्तान के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रमों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। एन2वाई0.कॉम के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के पास 100 से अधिक उपग्रह हैं, जबकि पाकिस्तान के पास सिर्फ आठ और चीन के पास 930 से ज्यादा हैं। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान चीनी सहायता से पाकिस्तान ने अपने सैटेलाइट कवरेज को समायोजित किया था, जैसा कि रक्षा मंत्रालय की एक शोध रिपोर्ट में उल्लेखित है। इस संदर्भ में, एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित ने जून में एक सेमिनार में कहा था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अंतरिक्ष में खतरनाक तरीके से विस्तार कर रही है। इसरो प्रमुख वी. नारायण ने 9 सितंबर को बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 400 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने निगरानी और संचार सैटेलाइट्स की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए राउंड-द-क्लॉक काम किया।

यह पहल न केवल अंतरिक्ष युद्ध की संभावनाओं से निपटेगी बल्कि भारत को वैश्विक स्पेस पावर के रूप में मजबूत बनाएगी। अंतरिक्ष विभाग के सूत्रों के अनुसार, इन बॉडीगार्ड सैटेलाइट्स से दुश्मन की हर चाल पर नजर रहेगी, और भारत की सीमाओं पर लगातार निगरानी संभव हो सकेगी।

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