दिल्ली, 24 सितंबर 2025: दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट (एसआईआईएम) के पूर्व प्रमुख स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी पर 17 छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। ये छात्राएं इंस्टीट्यूट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (पीजीडीएम) कोर्स कर रही थीं और इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) स्कॉलरशिप के तहत पढ़ाई कर रही थीं। आरोप है कि स्वामी चैतन्यानंद ने उन्हें अश्लील मैसेज भेजे, जबरन छुआ, अपशब्द कहे और शारीरिक संबंध बनाने की मांग की।
छात्राओं ने पुलिस को दिए बयानों में बताया कि आरोपी उन्हें अकेले बुलाता था और अनुचित व्यवहार करता था। रात के समय मैसेज भेजकर वह उन्हें परेशान करता था। इंस्टीट्यूट की महिला वार्डन ने छात्राओं को आरोपी से मिलवाने में मदद की, जबकि कुछ महिला फैकल्टी सदस्यों ने दबाव डाला कि "उसकी बात मानो, वरना तुम्हारी पढ़ाई प्रभावित होगी।" छात्राओं ने इन घटनाओं से मानसिक तनाव की बात कही और डर का माहौल बताया।
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी चैतन्यानंद पर ऐसे आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ 2006 और 2016 में भी यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनकी अब दोबारा जांच हो सकती है। स्वामी चैतन्यानंद कर्नाटक के प्रसिद्ध श्रिंगेरी मठ के प्रशासक रह चुके हैं और इंस्टीट्यूट दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठ की शाखा है, जो आध्यात्मिक और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
घटना के बाद श्रिंगेरी मठ के प्रशासक पी.ए. मुरली ने 4 अगस्त को वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 75(2), 79 और 351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच के दौरान 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए, जिनमें से 17 ने यौन उत्पीड़न की पुष्टि की। इंस्टीट्यूट से 9 अगस्त को आरोपी को हटा दिया गया और निष्कासित कर दिया गया।
पुलिस ने आश्रम पर छापेमारी की और एक लग्जरी वॉल्वो कार जब्त की, जिस पर फर्जी संयुक्त राष्ट्र डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट (39 UN 1) लगी थी, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नहीं की गई थी। आरोपी फरार है और उसकी आखिरी लोकेशन आगरा के पास ट्रेस की गई है। दिल्ली पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस की मदद से तलाश कर रही है, साथ ही सीसीटीवी फुटेज की जांच और अन्य स्थानों पर सर्च ऑपरेशन जारी है।
इंस्टीट्यूट ने बयान जारी कर स्वामी चैतन्यानंद के कार्यों को अवैध और पीठ के हितों के खिलाफ बताया है। जांच अभी जारी है और आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास तेज हो गए हैं। इस मामले ने शिक्षा संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।