पश्चिम बंगाल : तारापुर रेलवे से 11 रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठी गिरफ्तार

 पश्चिम बंगाल के तारापुर रेलवे स्टेशन पर 11 रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया है। वे हैदराबाद से ट्रेन के जरिए लौटे थे। बजरंग दल के सदस्यों ने इन्हें पहचान कर पुलिस को सूचना दी। शुरुआती पूछताछ में उन्होंने अपने UNHCR (यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रेफ़्यूजीज़) कार्ड दिखाए।यह केस असम के सिलचर के पास भी एक समान घटना से जुड़ा है, जहां 11 रोहिंग्या नागरिकों को स्थानीय निवासियों और बजरंग दल की सूचना पर गिरफ्तार किया गया था। ये रोहिंग्या भारत के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से दाखिल होते हैं और अक्सर हैदराबाद, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, असम जैसे राज्यों से होकर गुजरते हैं।

 रिपोर्टों के अनुसार, रोहिंग्या शरणार्थी UNHCR से मान्यता प्राप्त कार्ड रखते हैं, जो उन्हें कुछ सामाजिक सेवाओं तक पहुंच तो देता है, पर भारत सरकार उन्हें अवैध अप्रवासियों के रूप में मानती है और शरणार्थी का आधिकारिक दर्जा नहीं देती। सरकार और सुरक्षा बल इस समस्या को राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती मानते हैं क्योंकि कई बार ये अवैध दस्तावेज और सहायता के साथ सुविधा लेते हैं। कई बार इनके पास नकली आधार कार्ड, वोटर आईडी जैसी भारतीय पहचान पत्र भी पाए जाते हैं, जिससे इनके ट्रैफिकिंग नेटवर्क की पड़ताल हो रही है। 



पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामलों की रिपोर्ट आई है जहां रोहिंग्या अवैध रूप से भारत आए हैं, और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो रही है। सरकार ने ऐसे मामलों में सख्ती बढ़ा दी है, खासकर उन लोगों के खिलाफ जो नकली दस्तावेजों से जुड़े होते हैं। यहाँ केस की संवेदनशीलता को देखते हुए, रोकथाम सुरक्षा और मानवीय पहलुओं के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। UNHCR कार्ड के बावजूद, भारत में कानूनी रूप से रोहिंग्या को शरण नहीं मिल पाती। स्पष्ट है कि रोहिंग्या प्रवासन का मुद्दा अभी भी भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल क्षेत्रों में सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने