विगत 10 वर्षों में बैंकों ने करीब ₹12 से ₹16 लाख करोड़ का कॉरपोरेट लोन राइट-ऑफ किया, जिसमें अंबानी, जयप्रकाश, जिंदल जैसी बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी काफी रही। यह आंकड़ा देश की सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य बजट से भी कहीं अधिक है।बड़े कॉरपोरेट्स से राजनीतिक पार्टियों को डोनेशन और समर्थन मिलता है। इसी वजह से सरकार उनके डिफॉल्ट ऋण बैंकों से 'राइट-ऑफ' करवा देती है, जबकि आम जनता, किसान और मजदूरों के छोटे-छोटे कर्ज की माफी के लिए आंदोलन तक करना पड़ता है। बैंकों ने अरबों के लोन कॉरपोरेट्स का राइट ऑफ करके अपनी बैलेंस शीट साफ की, पर किसानों या श्रमिकों का बोझ कम करने की समान नीति लागू नहीं की। बैंकों की सबसे ज्यादा रिकैपिटलाइजेशन (सरकारी पैसा/टैक्सपेयर मनी से) कॉरपोरेट NPA के लिए होती रही। उद्योगों के राइट-ऑफ में देश लाखों करोड़ों का घाटा झेल रहा है |
वर्षवार लोन राइट-ऑफ (₹ लाख करोड़ में):
| वित्त वर्ष | राइट-ऑफ राशि (₹ लाख करोड़) |
|---|---|
| 2014-15 | 0.59 |
| 2018-19 | 2.36 |
| 2019-20 | 2.34 |
| 2020-21 | 2.03 |
| 2021-22 | 1.75 |
| 2022-23 | 2.08 |
| 2023-24 | 1.70 |
| 2024-25 | 0.91 |
कॉरपोरेट लोन के राइट-ऑफ में पारदर्शिता की को जानबूझ कर धुंधलाया जाता है। कर्ज डूबने के बाद भी बैंकों को सरकारी पैसे से रिकैपिटलाइज किया जाता है, जबकि इन पैसों का उपयोग समाजवाद, शिक्षा या स्वास्थ्य हेतु हो सकता था वर्तमान सरकार में लोन वसूली की दर लगातार घटती गई, जबकि उद्योगपतियों के लोन माफ किए जाने की गति और रकम बढ़ती गई। संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार मात्र 14% ही ऐसे लोन की रिकवरी संभव हुई।
राजनीतिक लोभ मे अंधे होकर राष्ट्र के लिये दीमक साबित हो रही हैं राजनीतिक पार्टियाँ -
सरकार समाज के कमजोर वर्ग (किसान-मजदूर-छोटे व्यवसायी) के लिए राहत की बजाय उनका आर्थिक बोझ और बढ़ा रही हैं। उद्योगपतियों के कर्ज माफ करना, जनतंत्र में मिली ईमानदार टैक्सपेयर की भावनाओं के साथ मजाक कर रही है ।
यह रवैया दर्शाता है कि उद्योगपतियों, राजनीतिक चंदे और कॉरपोरेट लॉबी के दबाव में सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया जा रहा है जो की देश के आम जनता, किसानों और मजदूरों के लिए एक प्रकार का आर्थिक पक्षपात और क्रोनी कैपिटलिज़्म (मित्र पूँजीवाद) का स्पष्ट उदाहरण है। जरूरी है कि प्रशासन पारदर्शिता रखे, पक्षपात बंद करे और सिर्फ कॉरपोरेट हित के लिए जनधन की बर्बादी बन्द हो।
references -ndtv+1thewirehindi