वाशिंगटन, 10 अक्टूबर 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार के प्रति 'लालसा' एक बार फिर सुर्खियों में है। गाजा में सीजफायर की घोषणा के ठीक बाद व्हाइट हाउस में पत्रकारों से घिरे ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर तीखा प्रहार किया – 'ओबामा को कुछ न करने पर पुरस्कार मिला, जबकि मैंने आठ युद्ध थामे लेकिन सम्मान की बारी ही नहीं आई।' नॉर्वे में आज (10 अक्टूबर) होने वाले नोबेल ऐलान से पहले ट्रंप का यह 'शिकायती सत्र' राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ रहा है। क्या यह ट्रंप की उपलब्धियों का दावा है या पुरानी दुश्मनी का इजहार? आइए, इस 'पीस प्राइज ड्रामा' की परतें खोलें।
ट्रंप ने जनवरी 2025 में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही खुद को 'पीस ब्रोकर' के रूप में पेश किया है। संयुक्त राष्ट्र की हालिया सभा (सितंबर 2025) में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 'सात अनंत युद्धों' को समाप्त किया। अब गाजा सीजफायर को जोड़ते हुए आंकड़ा आठ तक पहुंच गया। लेकिन नोबेल कमिटी की चुप्पी उन्हें खल रही है। पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा, "मैंने आठ युद्ध रोके हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। लेकिन नोबेल समिति जो करेगी, वो करेगी। मैंने यह पुरस्कार के लिए नहीं किया – मैंने लोगों की जान बचाई।"
ट्रंप का यह दावा कोई नया नहीं। पिछले महीनों में उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से नोबेल के लिए 'नॉमिनेशन' की मांग की, लेकिन कमिटी की स्वतंत्रता का हवाला देकर 'नो प्रॉब्लम' का ढोंग भी रचा। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह 'क्राय' उनके समर्थकों को रिझाने का तरीका है – 'मेनस्ट्रीम मीडिया और एलीट क्लब' के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक।
ओबामा पर 'डस्टर': 2009 का 'सरप्राइज अवॉर्ड' फिर निशाने पर
ट्रंप की बोलचाल का केंद्र बिंदु बराक ओबामा ही बने। 2009 में राष्ट्रपति बनने के महज आठ महीनों बाद ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था, जो तब वैश्विक स्तर पर 'हैरानी' का सबब बना। न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबारों ने इसे 'अनुचित' ठहराया और कहा कि पुरस्कार के मानदंड ऊंचे होने चाहिए। ट्रंप ने इसे हवा में उछालते हुए कहा, "ओबामा ने कुछ नहीं किया, फिर भी उन्हें सम्मानित किया गया। उन्होंने भी पता नहीं था कि उन्हें चुन लिया गया है। ओबामा को कुछ न करने, बल्कि हमारे देश को तबाह करने के लिए नोबेल दिया गया।"
यह टिप्पणी ट्रंप-ओबामा राइवलरी की पुरानी जड़ों को कुरेदती है। ओबामा के कार्यकाल को ट्रंप अक्सर 'अमेरिका को कमजोर करने वाला' बताते रहे हैं। लेकिन विडंबना यह कि ओबामा का पुरस्कार 'आशा और कूटनीति' पर आधारित था, जबकि ट्रंप के दावे 'युद्ध-रोकथाम' के हैं – फिर भी 'फ्री पास' की शिकायत!
नोबेल शांति पुरस्कार, जो अल्फ्रेड नोबेल की विरासत से जुड़ा है, हमेशा से विवादों का शिकार रहा। 2025 का ऐलान ओस्लो में आज दोपहर (भारतीय समयानुसार रात) होगा, और ट्रंप की टिप्पणियां इसे और गरमा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह 'प्ली' उनके चुनावी अभियान (2028 की तैयारी?) का हिस्सा हो सकता है – 'अंडरडॉग' इमेज बनाना। लेकिन आलोचक चेताते हैं: क्या युद्ध रोकना 'पीस' है या सिर्फ 'ट्रंप ब्रांडिंग'?
ओबामा के समर्थक ट्रंप की टिप्पणियों को 'ईर्ष्या का प्रदर्शन' बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर #TrumpNobelCry ट्रेंड कर रहा है, जहां मीम्स और जोक्स की बाढ़ आ गई है। एक यूजर ने लिखा, "ट्रंप: ओबामा को फ्री मिला। दुनिया: ट्रंप को मिले तो 'पीस' खत्म!"
ट्रंप की यह 'क्राय' नोबेल कमिटी के फैसले को प्रभावित करेगी या नहीं, यह तो समय बताएगा। लेकिन एक बात साफ है शांति के नाम पर राजनीति का यह खेल थमने वाला नहीं। क्या आज का ऐलान ट्रंप को 'स्पॉटलाइट' देगा या 'शैडो' में धकेल देगा?