गोरखपुर, 2 अक्टूबर 2025 नवरात्रि के मौसम में बाजारों में फलों की मांग बढ़ने के साथ ही मिलावट का खेल भी जोर पकड़ लिया है। गोरखपुर के बाजारों में बिक रहे केले अब सेहत के लिए जहर बन चुके हैं। खुलासा हुआ है कि मिलावटखोर हरे केले को पानी में घुली केमिकल से डुबोकर एक ही दिन में पका रहे हैं, जिससे केला सुबह हरा, दोपहर पीला और शाम तक काला हो जाता है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने चेतावनी जारी की है कि ऐसे केले खाने से पेट के गंभीर रोग हो सकते हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी छापेमारी तेज हो गई है, लेकिन बाजारों में अभी भी यह जहरीला खेल जारी है।
अंबेडकर चौक पर कलेक्ट्रेट के दक्षिणी द्वार के पास और सेंट एंड्र्यू डिग्री कॉलेज के निकट एक दुकान पर मंगलवार को यह खेल कैमरे में कैद हुआ। सुबह 10 बजे हरे केले पानी के ड्रम में डुबोए गए, जिनमें पीला रंग का केमिकल घोला गया था। दोपहर 1:30 बजे तक छिलका पीला हो गया, और शाम 4:30 बजे तक गहरा पीला होकर गीला और सड़ने लगा। रात तक ये केले बिल्कुल खाने लायक नहीं रह जाते।
पहले कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब इथेफॉन (एथाफान) नामक केमिकल का चलन है। यह केमिकल चैंबर में गैस के रूप में इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन मिलावटखोर इसे पानी में घोलकर सीधे केले डुबो देते हैं। इससे पकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, लेकिन फल जहरीला बन जाता है। विभाग के अनुसार, जिले में 30-40 केले पकाने वाली यूनिट हैं, जो निगरानी में हैं, लेकिन यह खुले बाजारों में हो रहा डुबोने का तरीका पूरी तरह अवैध है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया, "केमिकल से पकाए गए केले के इस्तेमाल से पेट संबंधी रोग होते हैं।" ऐसे केले खाने से उल्टी, दस्त, पेट दर्द जैसी समस्याएं तुरंत हो सकती हैं। लंबे समय में यह लीवर, किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि केमिकल अवशेष फल में घुल जाते हैं, जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे घातक हैं। घर पर पकाने के लिए केले को सूखे कपड़े या कागज के थैले में लपेटकर रखने की सलाह दी जा रही है, जहां प्राकृतिक गैस से पकाव होता है।
मिलावटखोर मांग के हिसाब से ही केले पकाते हैं, ताकि बर्बादी न हो। सुबह 40 रुपये दर्जन के भाव बिकने वाले केले शाम 5 बजे 20 रुपये में लुटाए जाते हैं। छोटे विक्रेताओं को थोक में बेचे जाते हैं, जो ठेलों पर लादकर गांव-गांव बांट देते हैं। नवरात्रि में व्रत के दौरान फलों की डिमांड बढ़ने से यह खेल और तेज हो गया है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि हरे-पीले मिश्रित केले ही खरीदें, जो प्राकृतिक पकाव के संकेत देते हैं।
विभाग की कार्रवाई, पिछले साल चार सैंपल फेल
पिछले साल कौरिराम में छापेमारी के दौरान यही तरीका पकड़ा गया था। चार सैंपल लैब भेजे गए, सभी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए। डॉ. सिंह ने कहा कि अवैध तरीके से पकाने वालों पर सख्ती की जाएगी। नवरात्रि के दौरान खाद्य विभाग की टीमें बाजारों में घूम रही हैं, और मिलावट पाए जाने पर दुकानें सील करने के आदेश हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने भी निर्देश दिए हैं कि फूड सेफ्टी अभियान चलाकर उपभोक्ताओं को जागरूक किया जाए।
यह खुलासा न केवल गोरखपुर, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए चेतावनी है। क्या हम ऐसे जहर को थाली तक पहुंचने देंगे? मिलावट की शिकायत हेल्पलाइन 1800-180-5559 पर करें। सेहत पहले, स्वाद बाद में!