हाईवे ख़राब होने पर जंगल का रास्ता साफ करना पड़ गया भारी DEO ने शिक्षकों को जारी किया कारण बताओ नोटिस

 अंधेर नगरी चौपट राजा का उदाहरण: DEO ने सच साबित कर ही दिया, शिक्षकों द्वारा रास्ता साफ करने पर कारण बताओ नोटिस जारी। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ शिक्षक रास्ते की सफाई करते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो न केवल शिक्षकों की सामाजिक जिम्मेदारी और श्रमदान को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता और गैरजिम्मेदारी को भी उजागर करता है। इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जो कि एक चौंकाने वाला कदम माना जा रहा है।





बलरामपुर जिले के कुछ शिक्षक, जो अपने कर्तव्य के साथ-साथ सामाजिक सेवा में भी सक्रिय हैं, ने मुख्य हाईवे के खराब होने के कारण जंगल के कच्चे रास्ते की सफाई करने का निर्णय लिया। बताया जा रहा है कि मुख्य हाईवे की स्थिति इतनी खराब है कि शिक्षकों को स्कूल पहुंचने के लिए इस कच्चे और असुरक्षित रास्ते से गुजरना पड़ता है, जो सूरजपुर को जोड़ता है। इस कच्चे रास्ते की सफाई न केवल उनके लिए बल्कि आसपास के ग्रामीणों के लिए भी आवश्यक थी, ताकि आवागमन सुगम हो सके।

शिक्षकों की इस पहल को देखकर किसी ने उनका वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि शिक्षक निःस्वार्थ भाव से श्रमदान कर रहे हैं, बिना किसी सरकारी सहायता या प्रोत्साहन के। इस वीडियो के वायरल होने के बाद आम जनता ने शिक्षकों की इस सामाजिक सेवा की जमकर सराहना की और उन्हें सम्मानित करने की मांग उठाई।

DEO का कारण बताओ नोटिस: एक विवादास्पद कदम

लेकिन इस सकारात्मक पहल के बावजूद, जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में यह पूछा गया है कि उन्होंने बिना अनुमति के ऐसा कार्य क्यों किया। यह कदम न केवल शिक्षकों के मनोबल को तोड़ने वाला है, बल्कि प्रशासन की उस उदासीनता को भी दर्शाता है, जो आम जनता की समस्याओं के प्रति दिखती है।

यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि शिक्षकों ने न तो किसी सरकारी संसाधन का दुरुपयोग किया है, न ही किसी नियम का उल्लंघन। वे केवल अपने और अपने समुदाय के हित में एक आवश्यक कार्य कर रहे थे, जिसे प्रशासन ने नजरअंदाज किया। DEO का यह कदम कई लोगों के लिए निराशाजनक और अस्वीकार्य है।

प्रशासन की भूमिका और सामाजिक जिम्मेदारी

इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन को जनता की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने में अधिक सक्रिय और संवेदनशील होना चाहिए। जब सड़क जैसी बुनियादी सुविधा ही उपलब्ध नहीं होती, तो ऐसे में शिक्षकों जैसे समाज के सम्मानित वर्ग का सहयोग और पहल सराहनीय होती है। प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करें, न कि उन्हें दंडित।

सड़क की खराब स्थिति न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के निवासियों के लिए एक बड़ी समस्या है। इससे न केवल आवागमन प्रभावित होता है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं की पहुंच भी बाधित होती है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें।

बलरामपुर के इस मामले ने एक बार फिर से "अंधेर नगरी चौपट राजा" कहावत को सजीव कर दिया है। जहां जनता की भलाई के लिए किए गए कार्यों को भी दंडित किया जाता है, वहीं प्रशासन की उदासीनता और गैरजिम्मेदारी सामने आती है। शिक्षकों द्वारा की गई इस सामाजिक सेवा को सम्मानित करने के बजाय कारण बताओ नोटिस जारी करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है।

आशा की जानी चाहिए कि इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा उचित कदम उठाए जाएंगे और शिक्षकों की इस पहल को सराहा जाएगा। साथ ही, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं का स्थायी समाधान भी जल्द से जल्द निकाला जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं न आएं और जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

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