फडणवीस सरकार और ओबीसी कार्यकर्ताओं के बीच नागपुर में छह दिन चलने वाले आंदोलन का अंत कई आश्वासनों के बाद हुआ। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि मराठा आरक्षण को लेकर ओबीसी समुदाय की चिंताओं से जुड़ी थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कई बार यह कहा कि मराठा समाज को आरक्षण दिया गया है, लेकिन यह ओबीसी आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा। सरकार ने इस बात का साफ आश्वासन दिया कि मराठा आरक्षण के फैसले से ओबीसी कोटे में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। महाराष्ट्र के ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे ने आंदोलन स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारियों को यह भरोसा दिया कि ओबीसी आरक्षण को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने कुल 21 मांगें सरकार के सामने रखी थीं, जिनमें प्रमुख थी कि मराठाओं को ओबीसी आरक्षण कोटे में शामिल न किया जाए। इसके अलावा आर्थिक सहायता, छात्र-महिला कल्याण, उद्यमियों के लिए बैंकिंग सुविधाओं में राहत आदि भी मांगों में शामिल थीं। सरकार ने इनमें से 12 मांगें मान लेने का आश्वासन दिया और शेष दो पर आगे की चर्चा का वादा किया।
फडणवीस सरकार ने विभिन्न समुदायों के लिए 22 विकास निगम भी बनाए हैं, जिनका बजट पहले पांच करोड़ था, जिसे 50 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, और इस वर्ष कुल लगभग 1200 करोड़ रुपये इन योजनाओं के तहत समुदायों तक पहुंचेंगे। आंदोलन की समाप्ति की घोषणा राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवड़े ने की थी।
इस प्रकार, फडणवीस सरकार के स्पष्ट आश्वासनों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक योजनाओं के वादे के बाद प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन खत्म किया।