हमीरपुर : जेल में अनिल द्विवेदी की मौत, जिम्मेदार कौन

 हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) में SC-ST एक्ट में विचाराधीन कैदी अनिल द्विवेदी की जेल में संदिग्ध मौत का मामला अत्यंत संवेदनशील बन गया है। अनिल की गिरफ्तारी 11 सितम्बर को हुई थी, एक 10 साल पुराने केस में जिसके तहत उन पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगा था। जेल में सिर्फ तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई, जिस पर परिवार ने हत्या और प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया था।

OPEN SOURCE IMAGE : @ShubhamShuklaMP

 द्विवेदी के बड़े भाई की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, जिससे उनके पांच बच्चों की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर थी।जेल प्रशासन की कथित प्रताड़ना के बाद मौत की पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद चोट के निशानों से हुई। परिवार वालों की मांग थी कि दोषियों पर हत्या का मामला दर्ज हो, न्यायिक जांच हो, बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम हो और आर्थिक सहायता दी जाए।

प्रशासन ने परिजनों को मनाने के लिए जिलाधिकारी, उप मुख्यमंत्री स्तर पर आश्वासन दिलाया कि पत्नी को विधवा पेंशन, बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी, पांच लाख की आर्थिक सहायता और एक आश्रित को संविदा पर नौकरी दी जाएगी। मृतक के पत्नी पूजा द्विवेदी के अनुरोध पर हत्या का मुकदमा जेलर समेत सात कर्मचारियों पर लिखाया गया है। जाँच के लिए डीआईजी जेल मौके पर पहुंचे और बंदियों से पूछताछ, सीसीटीवी फुटेज की जांच प्रक्रिया शुरू की गई है। बताते चले की मृतक अनिल द्विवेदी का  परिवार  अत्यंत गरीब है और रिपोर्ट्स के अनुसार अनिल दिल्ली में मजदूरी और सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम करते थे। केस की गंभीरता के चलते मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुँचा और इनकी शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा शासन के उच्च स्तर तक गई है।स्कॉलरशिप और सरकारी योजनाओं में जातीय वर्ग के कारण दिक्कतें पहले से मौजूद थीं, इसी वजह से बच्चे परेशान हैं और आगे की पढ़ाई पर संकट है। अनिल द्विवेदी की जेल में मौत के बाद परिवार गंभीर आर्थिक और सामाजिक संकट में  है। प्रशासनिक स्तर पर कुछ राहत व न्यायिक कार्रवाई हो रही है, लेकिन बच्चों के भविष्य और सरकारी योजनाओं से जुड़ा प्रश्न अभी भी कायम है। पूरा मामला पुलिस, प्रशासन, सरकार और राज्य मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में है, और ट्विटर के जरिए भी सामाजिक दबाव बन रहा है।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने