एयरपोर्ट अथॉरिटी में 232 करोड़ का घोटाला: फाइनेंस मैनेजर ने सिस्टम को दिया चकमा



एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के फाइनेंस और अकाउंट्स सेक्शन के सीनियर मैनेजर राहुल विजय पर 232 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा है। सीबीआई जांच के अनुसार, ये फर्जीवाड़ा देहरादून एयरपोर्ट में 2019 से 2023 के बीच अंजाम दिया गया।

Image source:google

 जालसाजी का तरीका  
राहुल विजय ने इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में हेराफेरी की—  
- नकली और डुप्लीकेट संपत्तियां बनाई।  
- असली संपत्तियों के दामों में ‘शून्य’ जोड़कर रकम बढ़ा-चढ़ाकर दिखायी गई।  
- छोटी-छोटी रकम के कई ट्रांसफर किए गए, जिससे किसी को शक न हो।  
- SBI बैंक में आधिकारिक अकाउंट के लिए तीन फर्जी यूजर आईडी बनाई गईं, जिससे रकम ट्रांसफर का गुप्त तरीका अपनाया गया।  
- उदाहरण के लिए, 29-सितंबर-2021 को 67.81 करोड़ की असली संपत्तियां बनीं, तो अगले ही दिन 13.58 करोड़ की असली संपत्तियों में ‘शून्य’ जोड़कर 189 करोड़ की काल्पनिक संपत्तियां दिखा दी गईं और सारी राशि अपने खाते में ट्रांसफर करा ली गई।

 जांच की परतें  
- CBI ने शिकायत मिलने पर आरोपी के जयपुर स्थित आवास और दफ्तर की तलाशी ली।
- कई अचल संपत्तियों और सिक्योरिटीज़ के कागजात बरामद हुए।
- शुरुआती जांच से पता चला कि आरोपी ने सार्वजनिक रकम अपने निजी और फिर बिजनेस अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दी थी।

 सिस्टम में सेंध, सुरक्षा पर सवाल  
यह मामला सरकारी संस्थाओं के वित्तीय सिस्टम की सुरक्षा पर गहरा सवाल खड़ा करता है—  
- सॉफ्टवेयर और रिकॉर्ड ऑडिट की प्रक्रिया कितनी मजबूत है?  
- क्या एक क्लर्क/मैनेजर अकेले इतने बड़े लेनदेन की छुपाकर कर सकता है?  
- आखिर रिकॉर्ड में छेड़छाड़ इतनी देर तक क्यों नहीं पकड़ी गई?

क्या बदलने की जरूरत  
विशेषज्ञों की राय में, इस घटना से कुछ बड़े सबक मिलते हैं—  
- ऑडिट और मॉनिटरिंग सिस्टम को रीअल टाइम, स्वचालित और सख्त बनाना जरूरी।  
- हर लेनदेन की मल्टी लेयर समीक्षा होनी चाहिए।  
- फाइनेंस टीम पर ब्लाइंड ट्रस्ट खतरे की घंटी है—सारे कर्मचारियों के बैकग्राउंड की बारीकी से जांच हो।  
- आईटी सिस्टम को जैविक रूप से अपग्रेड करना चाहिए, जिससे फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ लिया जा सके।  

नतीजा और आगे की राह  
CBI ने आरोपी के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया है। यह मामला एक बड़ी चेतावनी है कि वित्तीय अनुशासन और तकनीकी सुरक्षा के बिना सरकारी सिस्टम में सेंध लगाना बहुत आसान है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस रणनीति और तकनीकी सुधार जरूरी हैं।

अगर सार्वजनिक धन की सुरक्षा अहम है, तो ऐसे मामलों को रोकने के लिए सिर्फ सिस्टम ही नहीं, मानसिकता और टीम वर्क भी बदलना होगा।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने