कड़वा है पर सच है भारत अभी तक लड़ाकू विमान में लगने वाला शक्तिशाली जेट इंजन नहीं बना सका है न ही हम अभी तक बेहतर एयरोडायनामिक मॉडल भी नहीं तैयार कर पाए हैं। जहाँ एक अमेरिकी इंजीनियर व्यवसायी एलन मस्क अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के लिए बेहतरीन सैटेलाइट लांचर रॉकेट समेत अन्य महत्त्वपूर्ण योगदान देने के बाद हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम हाइपरलूप बनाने में लगे हैं वही यहाँ की मीडिया और लोग मात्र 5 राफेल फाइटर जेट आने से ही खुश हो रहे हैं और मीडिया भी देशवासियों को आधा अधूरा ज्ञान देकर खुश कर रही है। मीडिया और कोई भी राजनैतिक या सुरक्षा विशेषज्ञ देशवासियों को नहीं बता रहा की दूसरे देशों से लड़ाकू विमान खरीदने में कितना खर्च आता है हथियारों और फाइटर जेट्स के लिए विदेशों पर निर्भर रहना कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
बताते चले की हिन्दुस्तान की फाइटर जेट और हवाई हथियार बनाने वाली एकमात्र कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अभी तक सिर्फ एक सफल फाइटर जेट तेजस बनाया है। तेजस ने अपनी पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 में भरी थी।
तेजस पूरी तरह से भारत निर्मित नहीं था इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला जेट इंजन "GE 404 F 2/J -IN 20" अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक एविएशन का है एक तेजस को बनाने में लगभग 10 लाख यूएस डॉलर की लागत आती है जबकि सूत्रों के अनुसार एक राफेल की खरीद लगभग 95000000 यूएस डॉलर पड़ती है।
भले ही राफेल तेजस के मुकाबले अत्याधुनिक हथियारों से लैस है और उसकी क्षमता को जरूरत के अनुसार बढ़ाया जा सकता है फिर भी अगर राफेल जैसे फाइटर जेट भारत में बनते तो लागत खरीद से बहुत कम आती।
"आज तक" नामक न्यूज़ चैनल की एंकर अंजना ऐसे ख़ुशी से उछल उछल कर राफेल के आने का इन्तजार और उसका बखान कर रही हैं जैसे भारत में फाइटर जेट नहीं यूएफओ आ रहा है अंजना की हालत ठीक उस बच्चे की तरह है जो घर आये मेहमान से गेम खेलने के लिए उसका महंगा मोबाइल पा गया हो और खुश होकर अपने घर वालों को दिखा रहा हो। मीडिया की ये टुच्ची हरकतें ही शर्मसार होने पर मजबूर करती हैं। जाहिर सी बात है भारत ने इसके लिए भुगतान किया है जिसके बदले फ्रांस ने राफेल भारत भेजा ये कोई बड़ी बात नहीं है
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