आलू में मिलावट का बढ़ता खतरा: लखनऊ में पुराने आलू को केमिकल से नया बनाकर बेचने का खुलासा

 लखनऊ, उत्तर प्रदेश | 1 अक्टूबर, 2025 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आलू बाजारों में मिलावट का एक नया रूप सामने आया है। खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी में पुराने और खराब आलू को रसायनों से उपचारित कर नया बताकर बेचने का बड़ा रैकेट पकड़ा गया। इस मिलावट से प्रभावित आलू खाने से किडनी और लीवर को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे उपभोक्ताओं में दहशत फैल गई है। अधिकारियों ने 500 किलोग्राम से अधिक संदिग्ध आलू जब्त कर नष्ट कर दिए, और दो व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।



घटना मंगलवार को अमीनाबाद और हुसैनाबाद के प्रमुख सब्जी बाजारों में हुई। खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. राकेश कुमार की टीम ने गुप्त सूचना पर छापा मारा। जांच में पता चला कि व्यापारी पुराने आलू को लाल मिट्टी, यूरिया और अन्य रसायनों से लिपटाकर चमकदार और ताजा दिखा रहे थे। इन आलुओं की कीमत ₹20 प्रति किलो से बढ़ाकर ₹50 तक बेची जा रही थी। एक व्यापारी ने बताया, "यह तो आम प्रथा है, ताकि जल्दी बिक जाएं।" लेकिन अधिकारियों ने इसे स्वास्थ्य के लिए घातक बताया।

चश्मदीदों के अनुसार, आलू नरम और अंदर से सड़े हुए थे, लेकिन बाहरी परत चमकदार थी। खाद्य सुरक्षा विभाग ने लैब टेस्ट के लिए सैंपल भेजे हैं, जहां प्रारंभिक रिपोर्ट में भारी धातुओं और कैंसरकारी रसायनों की मौजूदगी पाई गई। डॉ. कुमार ने कहा, "यह मिलावट न केवल आर्थिक धोखा है, बल्कि जन स्वास्थ्य के लिए खतरा। ऐसे आलू खाने से पाचन तंत्र बिगड़ सकता है।"

यह समस्या केवल लखनऊ तक सीमित नहीं है। सितंबर 2025 में पटना में फूड सेफ्टी टीम ने दो ट्रक पुराने आलू जब्त किए, जो रसायनों और लाल मिट्टी से रंगे हुए थे। वहीं, अक्टूबर 2024 में बलिया जिले में 21 क्विंटल लाल रंग वाले आलू पकड़े गए, जो सफेद आलू को महंगे दामों पर बेचने के लिए रंगे गए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि फसल कम होने और महंगाई के कारण व्यापारी यह जोखिम ले रहे हैं।

फूड एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर उपभोक्ताओं को सतर्क किया है। इसमें बताया गया कि असली आलू का गंध मिट्टी जैसी होती है, जबकि मिलावटी में तेज रासायनिक गंध आती है। आलू को पानी में डालने पर असली तैरते हैं, जबकि मिलावटी डूब जाते हैं।

लखनऊ के खाद्य सुरक्षा विभाग ने दोषी व्यापारियों—रामेश्वर प्रसाद और मोहन लाल—के खिलाफ भारतीय खाद्य संरक्षण अधिनियम 2006 की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की। जुर्माना ₹1 लाख और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जा रही है। जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने कहा, "हम पूरे जिले में विशेष अभियान चला रहे हैं। बाजारों में जागरूकता कैंप लगाए जाएंगे।"

उपभोक्ता संगठनों ने सख्ती की मांग की है। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा, "सरकार को बाजारों में रैंडम चेकिंग बढ़ानी चाहिए। मिलावटखोरों को कड़ी सजा मिले ताकि यह सिलसिला रुके।" सोशल मीडिया पर #FakePotatoScam ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग अपनी कहानियां साझा कर रहे हैं।

सावधानियां: कैसे पहचानें मिलावटी आलू?

  • देखें: असली आलू का छिलका साफ और प्राकृतिक रंग का होता है। मिलावटी में चमक कृत्रिम लगती है।
  • सूंघें: मिट्टी जैसी सुगंध होनी चाहिए, न कि तेज रसायन की।
  • टेस्ट: पानी में डालें—असली तैरते हैं, मिलावटी डूबते हैं।
  • खरीदें: विश्वसनीय दुकानों से लें और लेबल चेक करें।

यह घटना खाद्य सुरक्षा पर सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को बेहतर समर्थन मिले तो मिलावट कम हो सकती है। उपभोक्ता अब सतर्क हैं, लेकिन प्रशासन को और सक्रिय होना होगा ताकि थाली में जहर न पहुंचे।

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