छत्तीसगढ़: जनसंपर्क विभाग के अधिकारी संजीव तिवारी पर पत्रकारों से मारपीट का आरोप, वीडियो वायरल

 रायपुर, 10 अक्टूबर 2025 (न्यूज डेस्क): छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित जनसंपर्क विभाग (डीपीआर) कार्यालय में गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिकारी और कुछ पत्रकारों के बीच जमकर झड़प हो गई। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि विभागीय अपर संचालक संजीव तिवारी ने एक पत्रकार और उसके साथी के साथ धक्का-मुक्की की, जिसके बाद मीडिया जगत में भारी आक्रोश फैल गया है। घटना के बाद सोशल मीडिया पर #Chhattisgarh और #JournalistSafety जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं।https://x.com/i/status/1976299677898477826

घटना दोपहर करीब 2 बजे डीपीआर कार्यालय में घटी, जब कुछ पत्रकार विभागीय अधिकारियों से किसी मुद्दे पर बातचीत करने पहुंचे। वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि संजीव तिवारी सफेद शर्ट पहने हुए एक पत्रकार को धक्का देते नजर आते हैं, जबकि अन्य लोग बीच-बचाव करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। वीडियो में धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और तोड़फोड़ की झलक मिलती है। एक तरफ पत्रकारों का दावा है कि अधिकारी ने उन पर हमला किया, वहीं दूसरी ओर जनसंपर्क अधिकारी संघ का कहना है कि यह 'असामाजिक तत्वों' द्वारा योजनाबद्ध हमला था।

पत्रकार संगठनों के अनुसार, यह झड़प विभाग की किसी नीतिगत जानकारी को लेकर शुरू हुई, जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई। वीडियो में कार्यालय के गलियारे और कमरों में अफरा-तफरी का माहौल दिखाई दे रहा है, जहां कई कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे। घटना के बाद पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "छत्तीसगढ़ भाजपा राज में पत्रकार भी सुरक्षित नहीं! डीपीआर दफ्तर में अधिकारी संजीव तिवारी ने पत्रकार और उसके साथी से की मारपीट।" यह पोस्ट हजारों बार रीपोस्ट हो चुकी है, और कई पत्रकारों ने इसे प्रेस फ्रीडम पर हमला बताया है।

दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ ने घटना की कड़ी निंदा की है। संघ के अध्यक्ष बालमुकुंद तंबोली ने कहा कि संजीव तिवारी के साथ अभद्रता, गाली-गलौज, तोड़फोड़ और धमकी दी गई। उन्होंने इसे "पत्रकारिता की आड़ में गुंडागर्दी" करार देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से तत्काल कार्रवाई की मांग की। संघ ने चेतावनी दी कि यदि दोषियों पर सख्ती न हुई, तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

पत्रकार संगठनों ने निष्पक्ष जांच और आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पूर्व कांग्रेस नेता और पत्रकार अनुच्छल श्रीवास्तव ने ट्वीट किया, "क्या भाजपा राज में पत्रकार सुरक्षित नहीं? जो पत्रकार दूसरों की आवाज उठाते हैं, आज उनकी आवाज कौन सुनेगा?" इसी तरह, धरातल की दुनिया जैसे मीडिया आउटलेट्स ने इसे "भाजपा शासन में पत्रकारों की असुरक्षा" का प्रतीक बताया।

राजनीतिक दलों ने भी मामले को हाथों-हाथ लिया है। विपक्ष ने सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता दबाने का आरोप लगाया, जबकि सत्ताधारी भाजपा ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वीडियो वायरल होने से मामला और गरमा गया है।

संघ ने उच्च स्तरीय जांच, दोषियों की गिरफ्तारी और भारतीय न्याय संहिता की सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। साथ ही, विभागीय अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने की अपील की गई। मुख्यमंत्री कार्यालय से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन संभावना है कि जल्द ही जांच समिति गठित की जाए।

यह घटना न केवल डीपीआर कार्यालय की गरिमा पर सवाल उठाती है, बल्कि राज्य में मीडिया और प्रशासन के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर कर रही है।

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