चंडीगढ़, 10 अक्टूबर 2025 (न्यूज डेस्क): हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पुराण कुमार ने मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास पर खुद को गोली मार ली। 52 वर्षीय कुमार, जो अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से थे, ने अपनी आठ पेज की सुसाइड नोट में 10 वरिष्ठ और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान का आरोप लगाया। घटना के तीन दिन बाद भी चंडीगढ़ पुलिस ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है, जिस पर उनकी पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
घटना मंगलवार दोपहर करीब 1:30 बजे सेक्टर 11 स्थित उनके आवास के तहखाने में हुई। उनकी बेटी ने उन्हें खून से सना पाया, जहां उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को दाहिने मंदिर पर गोली मारी। गोली बाएं कान से निकलकर दीवार में धंस गई। प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट न मिलने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में आठ पेज का नोट बरामद हुआ, जिसमें कुमार ने हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजarnia, आईपीएस अधिकारी अमिताभ ढिल्लों, संजय कुमार और सेवानिवृत्त आईएएस राजीव अरोड़ा समेत 10 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।
सुसाइड नोट में कुमार ने 2020 से शुरू हुए उत्पीड़न का जिक्र किया, जब अंबाला के एक थाने में मंदिर दर्शन के दौरान तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने कथित तौर पर जातिगत टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि पिता के निधन से पहले छुट्टी न देने के कारण वे उन्हें आखिरी बार न देख सके, जो "असीम दर्द और मानसिक उत्पीड़न" का कारण बना। अन्य आरोपों में वाहन और आवास आवंटन में परेशानी, गुमनाम शिकायतें और परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकियां शामिल हैं। नोट के अंत में उन्होंने कहा, "यह अनुसूचित जाति के अधिकारियों जैसे मेरे खिलाफ जारी साजिश का अंतिम निर्णय है।" उन्होंने सभी नामित अधिकारियों को "उकसाने और मजबूर करने" का दोषी ठहराया।
कुमार की पत्नी अमनीत पी कुमार, जो हरियाणा सरकार के विदेश सहयोग विभाग में आयुक्त व सचिव हैं, उस समय जापान में मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली प्रतिनिधि मंडल के साथ थीं। बुधवार को उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। उन्होंने चार पेज का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा, जिसमें तत्काल एफआईआर, आरोपी अधिकारियों की गिरफ्तारी और निलंबन, परिवार को आजीवन सुरक्षा और पोस्टमॉर्टम के लिए सहमति की शर्त रखी। उन्होंने कहा, "यह साधारण आत्महत्या का मामला नहीं, बल्कि एससी समुदाय के अधिकारी के खिलाफ सुनियोजित उत्पीड़न का परिणाम है। मेरे पति को इतना तोड़ दिया गया कि उनके पास कोई विकल्प न बचा।" अमनीत ने चंडीगढ़ पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, "48 घंटे बीत चुके हैं, फिर भी कोई एफआईआर नहीं। आरोपी उच्च अधिकारी जांच को प्रभावित कर रहे हैं। मेरी बेटियां गंभीर खतरे में हैं।"
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अमनीत से मुलाकात कर शोक व्यक्त किया और "उचित कार्रवाई" का आश्वासन दिया। डीजीपी कपूर ने भी सीएम से घटना की जानकारी साझा की, लेकिन दोनों ने मीडिया से कोई टिप्पणी नहीं की। चंडीगढ़ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह संवेदनशील मामला है, जिसमें कई पहलुओं की जांच हो रही है।" भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग की गई है, लेकिन फिलहाल कोई गिरफ्तारी या निलंबन नहीं हुआ।
कुमार को एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने करियर में कई महत्वपूर्ण पद संभाले। यह घटना हरियाणा पुलिस में जातिगत भेदभाव और कार्यस्थल उत्पीड़न के गंभीर मुद्दों को उजागर करती है। जांच जारी है, और परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है।