ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ अमेरिका-यूरोप की नई पाबंदियां: 44 संस्थाओं पर प्रतिबंध, संयुक्त राष्ट्र की स्नैपबैक के बाद तनाव चरम पर

 वाशिंगटन/ब्रसेल्स, 2 अक्टूबर 2025 |ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने फिर से कड़ा रुख अपना लिया है। अमेरिका ने 1 अक्टूबर को 44 व्यक्तियों और संस्थाओं पर नई पाबंदियां लगाईं, जो ईरान के न्यूक्लियर और हथियार खरीद नेटवर्क से जुड़े हैं। यह कार्रवाई 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए 'स्नैपबैक' प्रतिबंधों के ठीक बाद हुई है, जिसमें ईरान पर हथियार प्रतिबंध और यूरेनियम संवर्धन पर रोक दोबारा लागू कर दी गई। यूरोपीय संघ ने भी 29 सितंबर को ईरान की न्यूक्लियर गतिविधियों से जुड़ी पाबंदियों को बहाल कर दिया, जिससे वैश्विक तनाव और बढ़ गया है।


अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीति के तहत ईरान को कभी न्यूक्लियर हथियार नहीं बनाने दिया जाएगा। 1 अक्टूबर को जारी की गई पाबंदियों में 22 संस्थाओं और 22 व्यक्तियों को निशाना बनाया गया, जो ईरान के रक्षा उद्योग, न्यूक्लियर और मिसाइल कार्यक्रमों को समर्थन दे रहे हैं। इनमें ईरानी मिसाइल और सैन्य विमान उत्पादन से जुड़ी फर्में और व्यक्ति शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा कि ये नेटवर्क ईरान को संवेदनशील तकनीक और सामग्री मुहैया करा रहे थे, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

मई 2025 में तीन ईरानी अधिकारियों और एक संस्था पर लगाई गई पाबंदियां भी इसी श्रृंखला का हिस्सा हैं। अमेरिका का दावा है कि ये कदम ईरान को उसके न्यूक्लियर महत्वाकांक्षाओं से पीछे धकेलने के लिए हैं। हालांकि, ईरान ने इन पाबंदियों को 'अवैध' बताते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है।

27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र ने 2015 के न्यूक्लियर समझौते (JCPOA) के तहत हटाई गई पाबंदियों को स्नैपबैक के जरिए बहाल कर दिया। यूके, फ्रांस और जर्मनी (E3) ने इसे ट्रिगर किया था, जब ईरान ने समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया। अब ईरान पर हथियारों की खरीद-बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है, साथ ही यूरेनियम संवर्धन और पुन:प्रोसेसिंग पर रोक। रूस ने इन पाबंदियों को मान्यता न देने का ऐलान किया है, जिससे वैश्विक विभाजन साफ हो गया।यूरोपीय संघ परिषद ने 29 सितंबर को ईरान की न्यूक्लियर प्रसार गतिविधियों से जुड़ी पाबंदियों को फिर से लागू करने का फैसला लिया। इसमें ईरानी अधिकारियों और संस्थाओं की संपत्ति जब्ती और यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं।

ईरान ने इन पाबंदियों को 'आर्थिक आतंकवाद' करार देते हुए कहा कि वह अपना न्यूक्लियर कार्यक्रम जारी रखेगा। तेहरान ने चेतावनी दी है कि इससे मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ये प्रतिबंध ईरान की अर्थव्यवस्था को और कमजोर करेंगे, खासकर तेल निर्यात पर असर पड़ेगा। वैश्विक तेल कीमतें पहले ही 5% ऊपर चढ़ चुकी हैं।इस बीच, चीन ने पाबंदियों की निंदा की है, जबकि इजरायल ने इसे 'जरूरी कदम' बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान ने यूरेनियम संवर्धन रोका, तो बातचीत की गुंजाइश बनी रह सकती है। लेकिन फिलहाल, यह नई पाबंदियां न्यूक्लियर डिप्लोमेसी के लिए नया संकट पैदा कर रही हैं।


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