संवाददाता तिरुवनंतपुरम | 13 दिसंबर 2025
केरल की राजनीति में शनिवार का दिन एक ऐसे भूचाल की तरह आया जिसने दशकों पुराने समीकरणों को हिलाकर रख दिया है। स्थानीय निकाय चुनावों (Local Body Polls) के नतीजों ने एक तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ (UDF) को राज्यव्यापी संजीवनी दी है, तो दूसरी तरफ भाजपा (NDA) ने राज्य की राजधानी में वह कर दिखाया है, जो अब तक किसी ने सोचा भी नहीं था।
यह चुनाव केवल स्थानीय मुद्दों का नहीं, बल्कि राज्य की बदलती राजनीतिक हवा का संकेत है।
राजधानी में 'भगवा' सूर्योदय: एनडीए की ऐतिहासिक जीत
सबसे बड़ी खबर राज्य के सुदूर गांवों से नहीं, बल्कि सत्ता के केंद्र तिरुवनंतपुरम नगर निगम से आई है। इतिहास में पहली बार, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) ने तिरुवनंतपुरम निगम पर कब्जा जमा लिया है।
वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) का यह अभेद्य किला माना जाता था, लेकिन आज यहां भाजपा कार्यकर्ताओं का जश्न यह बता रहा है कि केरल की शहरी राजनीति में एक 'तीसरा ध्रुव' मजबूती से स्थापित हो चुका है। एनडीए ने स्पष्ट बहुमत हासिल करते हुए एलडीएफ और यूडीएफ दोनों को पीछे छोड़ दिया। यह जीत इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि दक्षिण भारत में भाजपा लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही थी, और तिरुवनंतपुरम की जीत उस रणनीति की सबसे बड़ी सफलता है।
पूरे राज्य में यूडीएफ (UDF) की लहर
अगर राजधानी की चमक को छोड़ दें, तो बाकी केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
नगर पालिका और पंचायतें: यूडीएफ ने राज्य भर की अधिकांश नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों में सत्ताधारी एलडीएफ (LDF) को उखाड़ फेंका है।
सत्ता विरोधी लहर: जमीनी स्तर पर यह स्पष्ट दिखा कि जनता मौजूदा एलडीएफ सरकार की नीतियों से नाराज थी, जिसका सीधा फायदा यूडीएफ को मिला।
कांग्रेस नेताओं ने इसे "जनता की जीत और तानाशाही के खिलाफ फतवा" करार दिया है। यूडीएफ के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले विधानसभा चुनावों के लिए उनका मनोबल कई गुना बढ़ा देगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया आभार
तिरुवनंतपुरम में मिली ऐतिहासिक सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा:
"तिरुवनंतपुरम के लोगों ने विकास और सुशासन के लिए एनडीए पर जो भरोसा जताया है, उसके लिए मैं उनका ऋणी हूं। यह जीत हमारे कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और केरल के उज्ज्वल भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का परिणाम है। यह केरल में बदलाव की शुरुआत है।"
एलडीएफ (LDF) के लिए खतरे की घंटी
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और सीपीआई (एम) के लिए आज का दिन आत्ममंथन का है। ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ खोना और राजधानी में भाजपा से हारना—यह दोहरी मार वाम दलों के लिए खतरे की घंटी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) और युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने वाम मोर्चे को बैकफुट पर धकेल दिया है।
आज के नतीजों का सबसे बड़ा निष्कर्ष यह है कि केरल की राजनीति अब केवल एलडीएफ बनाम यूडीएफ नहीं रही। तिरुवनंतपुरम में एनडीए की जीत ने साबित कर दिया है कि भाजपा अब राज्य में केवल 'वोट काटने' वाली पार्टी नहीं, बल्कि 'चुनाव जीतने' वाली मशीन बन चुकी है।